इतना अनर्थ क्यों हो रहा है भाषा के साथ?
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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इन दिनों कुछ तो हिंदी में बुरी तरह से घुसपैठ कर रही अंग्रेजियत और कुछ भाषा के अज्ञान के चलते बड़ा अनर्थ हो रहा है। हमारी वह भाषा जो एक तरह से हमारी मां है, हमारी अभिव्यक्ति का जरिया है और जिसकी बांह थाम हम अपनी जीविका चलाते हैं आज उसका जाने-अनजाने घोर निरादर और अपमान हो रहा है। भाषा भदेस हो रही है या की जा रही है और उसके साथ जम कर छेड़छाड़ और खिलवाड़ हो रहा है। चाहे प्रिंट मीडिया से जुड़े लोग हों या इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोग, शिक्षक हों या आलोचक और कथाकार सब इस बात से सहमत होंगे कि उनकी अभिव्यक्ति का आधार सिर्फ और सिर्फ भाषा है। उसका ज्ञान उनसे छीन लिया जाये तो वे मूक और लाचार हो जायेंगे। आज उसी भाषा के साथ जिस तरह से छेड़छाड़ हो रही है वह चिंता का विषय है। ऐसे में जिन्हें भाषा से प्यार है, यह जिनकी अन्नदाता है उनका यह कर्तव्य बनता है कि वे पल भर रुकें और भाषा पर कुछ विमर्श करें। जो गलत प्रयोग हो रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए सक्रिय और सचेष्ट हों। आज बड़े-बड़े विद्वानों तक को धड़ल्ले से भाषा का गलत इस्तेमाल करते देखा जाता है। शब्दों के अर्थ और सही प्रयोग की जानकारी न होने के कारण कभी-कभी तो अर्थ का अनर्थ भी होते देखा गया है। मैं अपने को भाषा का पंडित नहीं मानता लेकिन अल्प ज्ञान में जो गलतियां नजर आयीं उन पर ध्यान आकर्षित करना मैं अपना कर्तव्य मानता हूं। कारण, हम जिस भाषा के हैं और जिसके चलते ही हम जो हैं, वो हैं उसका प्रयोग सही और सटीक हो यही हमारा काम्य है। जो इसके सही प्रयोग को नहीं जानते उन्हें राह दिखाना और बताना कि सही क्या है, गलत क्या है यही इसका उद्देश्य है। पूरा लेख आप मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ सकते हैं। यहाँ क्लिक करें।
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Ye sankrman ka daur hai, sabhi chhetron men yahi haal hai.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बंधुवर ये तो आपने अखबार में देखा एक बार | हमारे एक मित्र जो की रेडियो होस्ट हैं | अपना कार्यक्रम शुरू करते ही जहां सलाम आलेकम कहना चाहिए, वहाँ हमेशां सलाम वालेकम कहते हैं | उनका संबोधन कुछ ऐसा होता है : नमस्कार सलाम वालेकम दोस्तों हाजिर हो चूका है आपका दीवाना दोस्त .....| माना की गलती होती है, पर एक R.J बनने के बाद या एक सम्पादक बनने के बाद अगर आप गलती करते हैं तो, वो स्वीकार्य नहीं है | चलिए आपके में उच्चारण क्षेत्रीयता का प्रभाव आ सकता है यानी की आप बंगाली है तो करेगा का उच्चारण करते हैं कोरेगा | अगर आप करेगा का उच्चारण करते हैं करेगी तो ये तो सर्वथा सत्यानाश है |
जवाब देंहटाएंटेलीविजन और प्राइवेट रेडियो आपरेटर्स ने भाषा की ऐसी-तैसी कर दी है.
जवाब देंहटाएंआपसे हम पूरी तरह सहमत हैं जी और अगर हमारा बस जो दरअसल चल नहीं पाता, अगर वो चलने लगे तो हिंदी को अपमानित करने वालों को हम डेली घण्टे दो घंटे की फ़ाँसी की सज़ा देना प्रारंभ कर दें। अच्छी बात उठाई आपने जी। आभार।
जवाब देंहटाएंआपने बिल्कुल सही कहा...वाकई बहुत ज्यादा छेड़ छाड़ बढ़ गयी है भाषा के साथ
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