हिंदी पत्रकारिता को नए आयाम देने वाले एस.पी.सिंह को उनके 12 वीं पुण्यतिथि के मौके पर याद किया गया. यह कार्यक्रम 27 जून को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में आयोजित किया गया. इस मौके पर एस.पी को जानने-समझने वाले और उनके साथ काम कर चुके कई पत्रकार मौजूद थे जिन्होंने एस.पी.सिंह के संबंध में अपने विचारों और संस्मरणों को सबके साथ साझा किया.
वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने एस पी को सामजिक सरोकारों वाला व्यक्ति बताते हुए कहा कि वे पत्रकार से ज्यादा सामाजिक सरोकार वाले व्यक्ति थे. वे मार्क्सवाद के समर्थक थे लेकिन इसके बावजूद हर दल के लोगों से उनके अच्छे संबंध थे.
आईबीएन-7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष ने कहा कि एस।पी.सिंह ने पत्रकारिता में नस्लभेद को खत्म किया. एस.पी. ने हिन्दी में टेलीविजन पत्रकारिता को फिर से परिभाषित किया। उसे प्रतिष्ठित और प्रोफेशनल बनाया. साथ ही भाषा को वह इज्ज़त दी जिसकी वह हक़दार है. पुरी रिपोर्ट आप मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने एस पी को सामजिक सरोकारों वाला व्यक्ति बताते हुए कहा कि वे पत्रकार से ज्यादा सामाजिक सरोकार वाले व्यक्ति थे. वे मार्क्सवाद के समर्थक थे लेकिन इसके बावजूद हर दल के लोगों से उनके अच्छे संबंध थे.
आईबीएन-7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष ने कहा कि एस।पी.सिंह ने पत्रकारिता में नस्लभेद को खत्म किया. एस.पी. ने हिन्दी में टेलीविजन पत्रकारिता को फिर से परिभाषित किया। उसे प्रतिष्ठित और प्रोफेशनल बनाया. साथ ही भाषा को वह इज्ज़त दी जिसकी वह हक़दार है. पुरी रिपोर्ट आप मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ सकते हैं।
मित्रों, क्या अजीब इत्तेफाक है यहां सभी एस. पी. सिंह पर बोल-लिख रहे हैं। पत्रिकाओं के अंक निकाल जा रहे हैं मगर एस. पी. सिंह यहां होना-बनना कोई नहीं चाहता। क्योंकि आज की बाजारू पत्रकारिता में एस. पी. सिंह होने-बनने के बहुत खतरे हैं। और खतरे उठाना हमारी फित... नहीं।
जवाब देंहटाएंरिपोर्ट के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंbhaiji.........
जवाब देंहटाएंANSHUMALI RASTOGI NE JO KAH DIYA USE MAIN BHI MAANTA HOON
badhiya lekh,
जवाब देंहटाएंmai jyada nahi janta tha s.p. singh ke bare me ..jaankari ke liye abhar..
हम ने पहली बार आप से जाना इन सज्जन के बारे .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
अंशुमाली जी ने लाख टके की बात कह दी. एस पी बनना हर एक के बस की बात नहीं.
जवाब देंहटाएंकितने लोग बैकग्राऊंड में काम करते हैं, पता तब चलता है जब वे चले जाते हैं। परिचय के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंपुण्य आत्मा को मेरी और से भी सादर नमन ...और आपका धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपत्र -करिता कहिये या और कोईभी पेशा ...वहाँ S.P. Singh जैसे लोग कम मिलेंगे , लेकिन ,मिलेंगे ज़रूर ..इतना मेरा विश्वास है ..और वो अपने ' होने 'की क़ीमत चुकाते रहेंगे ...! उनके धैर्य और निडरता को शत शत प्रणाम ..!
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