आम आदमी के बजट से बच्चे गायब

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  • पुष्कर पुष्प
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  • चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ ने केन्द्रीय-बजट 2009-10 को बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिहाज से असंतोषजनक बताया है। उसके मुताबिक आम आदमी के लिए खास बताए जाने वाले इस बजट में बच्चों की तीन बातों को दरकिनार किया गया है :
    > हर साल स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या को देखते हुए स्कूली शिक्षा पर उम्मीद से बेहद कम खर्च हुआ है।

    > प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा अधिनियम को ध्यान में रखते हुए अलग से पैसा नहीं रखा गया है। इस तरह बच्चों के लिए भोजन की सुरक्षा की गारंटी को अनसुना किया गया है।

    > लंबे समय से आईसीडीएस को ‘सर्वभौमिक’ याने सभी जगह लागू करना का वादा, वादा बनकर ही रह गया है। आईसीडीएस के लिए जो 6,705 करोड़ रूपए बढ़ाये भी गए हैं वह उसके स्वरूप के मुकाबले कम है। देखा जाए तो बच्चों पर खर्च के लिए कुल 5,100 करोड़ रूपए बढ़ाये गए हैं। यह बढ़ोत्तरी, हर साल बच्चों की बढ़ती संख्या के हिसाब से कम है। जहां स्कूली शिक्षा पर होने वाले खर्च को पिछली साल की तरह ही रखा गया है, वहीं स्वास्थ्य और भोजन की सुरक्षा पर होने वाले खर्च को भी बढा़या नहीं गया है। जैसे कि केन्द्रीय बजट में ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के लिए 13,100 करोड़ रूपए और मिड-डे-मिल के लिए 8,000 करोड़ रूपए रखे गए हैं।
    * शिरीष खरे की इस पूरी रिपोर्ट को आप मीडिया ख़बर .कॉम पर पढ़ सकते हैं।

    2 टिप्‍पणियां:

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