लडकियां उडाती हैं पतंगे
लेकिन चरखी कोई और पकड़ता है
वो डोर पकड़ती है
पतंग को छुट्टी कोई और देता है
वो पतंग तो उडाती हैं
तंग कोई और ही बांधता है
या वो उडाती हैं
पतंगे जो कटके छत पे आती हैं
उनकी पतंग उडती भी है
आकाश में लेकिन
घरवालेआगाह करते हैं
पेच ना लड़ाने की सीख देते हैं
जो लडकियां पतंग उडाती हैं
तो उनसे ये भी कहा जता है कि
भले कोई ढील दे
तुम्हें अपनी डोर खीचके ही रखनी है
हाँ लड़किया पतंग उडाती है
पर क्या पता उसे आसमान निगलता
या धरती खाती है
शाम होते गगन में आवारा पतंगे रहती हैं
उफ ! उफ! ये लड़कियां पतंग उड़ाती हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छे रचनाकार हो, कंप्यूटर पर बैठकर लड़कियों के पेच लड़ा दिए? भई वाह!
बिलकुल नए बिम्ब के कविता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
वीनस केसरी
वाह आप ने किअतनी बडी बात लडकी ओर पतंग से कह दी, वेसे मेने कभी भी किसी लडकी को पतंग उडाते नही देखा, ओर ना ही लुटते हुये एक कटी पतंग को, कई बार किसी लडकी के पास पतंग कट के आ जाती तो वो हंस कर परे हट जाती थी.
जवाब देंहटाएंबहुत ही नवीनता लिये हुए है आपकी यह रचना. पतंग के माध्यम से आपने तो समाज मे उनकी स्थिति पर तीर चलाया है. बधाई
जवाब देंहटाएंumda !
जवाब देंहटाएंbahut achhi rachna !
आवारा पतंगे ही तो समाज के लिये उदाहरण बनती हैं कि देखो ऐसे मत बनना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता,धन्यवाद आपको,
जवाब देंहटाएंपतंग तो बहुत पहले से उड़ा रही है,
बस आज पतंग का रूप बदला है,
पतंग और लड़की
जवाब देंहटाएंहरि जी ने खोली
ज्ञान की नई खिड़की
पतंग उड़ाने पर
पड़ती है झिड़की
सिर्फ लड़कियों को
ही क्यूं ?
पतंग और लड़की
लड़की और पतंग
न पड़े झिड़की
ऐसी खुले खिड़की।
bhai waah !!
जवाब देंहटाएंladki ki maryadayein patang ke madhyam se aapne bakhubi ukeri hain.
जवाब देंहटाएंकविता कहां है इसमें। सच्चाई भरी हुई है। पतंग उड़ी हई है।
जवाब देंहटाएंbadhia.
जवाब देंहटाएंpatange ude na ude, padakiya zaroor hava mein ud jaati hein
Goodh h!!!!!!!!!!!
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