दिल्ली मे लगेगा ब्लॉगर्स का मेला-----आईएगा ज़रूर.

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  • विनोद कुमार पांडेय
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  • दिल्ली मे लगेगा ब्लॉगर्स का मेला,
    जुटेगे बड़े बड़े महाशय,
    सबके होंगे अलग अलग आशय.

    अब मैं बताता हूँ,कैसे कैसे सीन हो सकते है,
    देखिएगा आप मेरी कल्पनाओं मे खो सकते है,
    थोड़ी देर के लिए सच को भी मत पहचानिएगा,
    कुछ अनुचित भी लगे,तो भी बुरा मत मानिएगा.

    क्योंकि कोई भी अपनी आदत से बाज़ नही आता है,
    और करता वही है,जो उसके मन को भाता है,
    अब ज़रूरी नही जो हमारे मन को भाए,
    वो ब्लॉगर्स सोसाइटी मे,भी महत्वपूर्ण योगदान निभाए.

    इसलिए हम अलग अलग हो सकते है,विचारो मे,
    दुनियाँ भर की घटनाओं और सामाजिक प्रचारों मे,
    फिर भी अपने अंदाज मे ही रंग भरेंगे,
    और देखिएगा कैसे कैसे दूसरों का ध्यान भंग करेगें.

    कोई अपनी कहेगा,कोई दूसरे की सुनाएगा,
    कोई बैठ के बिना सुन ताल के गीत गाएगा,
    कोई कहेगा मेरे पोस्ट पर कमेंट किया करो भाई.
    और कुछ देंगे नयी नवेली, सरकार को दुहाई.

    कुछ आज पर प्रवचन देंगे,कुछ लोग कल पर,
    कुछ कर्म प्रधान कहेंगे,कुछ ज़ोर देंगे फल पर,
    कुछ मायानगरी के मायावी,बसिन्दो की बात करेंगे,
    कुछ उड़ना सिख रहे,नये नये परिंदो की बात करेंगे.

    अविनाश जी अपने दूरसंचार और परेशानी जनता को बतलाएँगे,
    सुभाष जी ब्लॉग को सुरक्षित रखने के नुक्से बताएगे,
    विजय कुमार जी अपने कविताओं को मन से बाहर लाएँगे,
    कप्तान जी बैठ कर खूब कार्टून बनाएँगे.

    संगीता जी अपने ज्योतिष् शास्त्र की कहानी बताएँगी,
    निर्मला जी हिन्दी साहित्य मंच की शोभा बढ़ाएँगी,
    राजेश जी ब्लॉगर्स को उत्साहित भावनाएँ देंगे,
    और समीर जी बस दूर से ही शुभकामनाएँ देंगे.

    विनीत कुमार मोहल्ले को मीडिया मंत्र सिखाएँगे,
    कुलवंत जी खिड़की खोलने और खुलवाने का तंत्र सिखाएँगे,
    दिनेश जी अदालत से तीसरा खंभा हिला देंगे,
    सुशील कुमार जी पतझड़ मे भी फूल खिला देंगे.

    छोक्कर जी,आपके उत्सुक मन की तलाश उलझा देंगे,
    संजय बैरागी,तरकसी से समस्त पहेली सुलझा देंगे,
    आदित्य रंजन स्वाद और स्वास्थ्य की दवा देंगे,
    विवेक रस्तोगी कल्पतरु बन कर शीतल हवा देंगे.

    हम बैठ कर आप सब से कुछ सिख लेंगे,
    अच्छा लगेगा और हृदय की पन्नो पर लिख लेंगे,
    अमल करके मैं भी आप सब के बताए पथ का राही बन जाऊँगा,
    और ब्लॉग जगत का जीता जागता सिपाही बन जाऊँगा.

    बस यही शुभकामना है,ये मिलन समारोह सफल रहे,
    हम सभी के शुभ विचारों का शुभ प्रतिफल रहे,
    ऐसे ही सबको हँसाते रहे,
    विश्व संप्रदाय पर एक विश्वास सा छाते रहे,
    हिन्दी और हिन्दुस्तान की उन्नति करे,
    ताकि हमारे उपर हँसने वाले नज़र उठाने से भी डरे.

    11 टिप्‍पणियां:

    1. हमें तो पहले ही किनारे किये हो तो दूर से ही शुभकामना ले लो.

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    2. हम आपका स्वागत करने बैठे है...पर आप आए तो सही,

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    3. shubhkamnayen.
      meeting ke vivran ki pratiksha raehgi.

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    4. कृपया इस संगोष्‍ठी के संबंध में नुक्‍कड़ की नई पोस्‍ट अवश्‍य देखें जिसमें इसे मुल्‍तवी किया गया है जिससे अधिक ब्‍लॉगर्स को इसमें शामिल होने में कठिनाई न हो। नए स्‍थान, दिन, दिनांक और समय के लिए मामला पुन: ब्‍लॉगर्स के पाले में है।
      है।
      इससे होने वाली असुविधा के लिए खेद है क्‍योंकि यह असुविधा सबको सुविधा पहुंचाने की इच्‍छा के चलते हुई है।

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    5. चलिए इस बहाने विनोद जी की एक विनोदपूर्ण रपट पढ़ने को तो मिली। जिससे खिल गई दांतों की हर इक गली।

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    6. avinaash bhai main to aapse fon par batiya kar daree bichhane aur us par lotamlot hone pahunch hee jaaungaa...

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    7. महाराष्ट्र मे एक आनन्द मेला होता है जहाँ सब खाते पीते मौज करते हैं काम कुछ नही करते वैसा ही होगा क्या?

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    8. देखते है,पहला एक्सपीरियेन्स होगा मेरा भी,
      वैसे भी ब्लॉगर्स करते भी क्या है,
      बस बातें करवा लो, चाहे जितना,आइए आप भी
      सब कुछ जीवंत मिल जाएगा
      की क्या होगा,मिलन समारोह मे

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    9. अब यार हम भी होते , कुछ सुन सुनाइ लेते
      कुछ दाल में तुम्हारी ' तड़का ' लगाइ देते
      अब खुद ही झेलो गर्मी ,बहसों की भासनों की
      हाज़िर अगर जो होते ,बेनियान डोलाई देते .

      शुभ हो !
      जय हो !

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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