दिल के अरमान
टूटते हैं जब-जब
आखें चुपके से बरस जाती हैं।
मिलते है हाथों से हाथ,
तुम्हारे जब-जब,
रातें यूँ ही गुजर जाती है ।
सांसों का बढ़ना, घटना,
होता है मिलने पर,
पलकें खुद ही झपक जाती हैं।
वक्त थमता नहीं,
कुछ पल को,
आने पर तेरे,
बस
आती हो,चली जाती हो।
टूटते हैं जब-जब
आखें चुपके से बरस जाती हैं।
मिलते है हाथों से हाथ,
तुम्हारे जब-जब,
रातें यूँ ही गुजर जाती है ।
सांसों का बढ़ना, घटना,
होता है मिलने पर,
पलकें खुद ही झपक जाती हैं।
वक्त थमता नहीं,
कुछ पल को,
आने पर तेरे,
बस
आती हो,चली जाती हो।
नेट है उपलब्ध और लिखने की स्वतन्त्रता है तो इसका मतलब यह थोड़े ही है कि जो मन में आया सो लिख दिया। इस कविता को Zero Marks. नॆट पर आकर पेज गंदा करते हैं और पाठकों का समय बरबाद!
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