सागर की पुकार


आजकल जिसे देखो वही ढोलू (कछुआ) को डांटने चल पड़ता है. यही बात सोचते हुये ढोलू आज अकेला ही सैर को निकला. और घूमते हुये वह एक ऐसे स्थान पर आ पहुँचा जो उसने अबतक देखा ही नहीं था.

उसने देखा की उस जल कोने का सारा पानी काला काला है. समन्दर में होनी वाली जलीय वनस्पति भी लगभग नष्ट हो चुकी थी. और तो और वहाँ पर कोई जलीय जीव भी उसे दिखाई नहीं दिया. अब तो ढोलू को डर लगने लगा कि उसकी माँ जो कहती थी वह सच ना हो जाये.

ढोलू की माँ कहती थी कि मानव हर साल लाखों टन हानिकार रासायनिक तरल, कचरा, हर तरह की गन्दगी और अवशिष्ट पदार्थ समन्दर में फैक आ रहा है. और अगले आने वाले सालों में हमें पीने के लिये काला पानी ही मिलेगा. वह सोचने लगा कि मानव तो बड़ा बुद्धिमान जीव है फिर भी उसे यह छोटी से बात क्यॉ समझ मॆ क्यॉ नही आती कि प्रदूषण से तो इस प्रकृति के हर जीव के जीवन को खतरा है....और मानव भी इसका अपवाद नहीं.

अब तो ढोलू को अपने उन सब दोस्तॉ की याद आने लगी जो समन्दर का पानी जीने लायक न रह जाने के कारण मर गये थे. बस दो चार छोटी मछलियाँ ही बची है उसके बचपन के दोस्तॉ में. ढोलू ने तय किया कि वह इस समस्या से निपटने के लिये सार्थक और ठोस प्रयास अवश्य करेगा. ताकि वह अपने आने वाले वंशजॉ को इस अभिशाप से बचा सके.

ढोलू अब तक उस गन्दे पानी की कैद में फंस चुका था. उसे कोई राह नही सुझाई दे रही थी कि वह सागर में वापिस अपने
घर कैसे जा पायेगा???

क्या आप बता सकते हैं???

अगर हाँ तो टिप्पणी कीजिये और बताइये!!!

(रेखाचित्र:कुमारी प्रियंका गुप्ता के द्वारा)

3 टिप्‍पणियां:

  1. फ़ालो करें और नयी सरकारी नौकरियों की जानकारी प्राप्त करें:
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  2. क्या किया जाये?? लोग मानते ही नहीं.

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  3. कछुए को बचना है
    तो उसे उड़ना सीखना पड़ेगा
    चाहे धीरे ही उड़े पर जरूर उड़े
    तभी पर्यावरण घटेगा
    क्‍योंकि पक्षियों के उड़ने पर
    ईंधन नहीं लगता
    इसलिए प्रदूषण नहीं

    जवाब देंहटाएं

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