उन दिनों...
हम-तुम कितने खुश थे,
छोटी-छोटी बातों पर हंसते ,
बिन बातों के ही रूठते,
तुम हंसके के मुझे मनाती
और
मैं हंसके तुम्हें जलाता था,
उन दिनों...
दिल धड़कता था एक साथ ,
नहीं होती थी जब तुमसे मुलाकात,
तब लगता कि,
अब आ भी जाओ
एक पल को मेरे पास,
उन दिनों....
मौसम बदल गया,
हालात बदल गया,
अब आती है जब याद,
खो जाता हूँ लम्हों के साथ,
उन दिनों......हम-तुम कितने खुश थे।
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मौसम बदल गया
जवाब देंहटाएं,
हालात बदल गया,
अब आती है जब याद
,
खो जाता हूं लम्हों के साथ,
उन दिनों ....... हम-तुम कितने खुश थे।
वाह जी वाह बेहतरीन रचना के लिए बारम्बार बधाई स्वीकार करें
अच्छा लिखा है। आपकी कविता पढ़कर प्रसाद की पंक्तियाँ याद आगई- वो कुछ दिन कितने सुन्दर थे
जवाब देंहटाएंसावन घन सघन बरसते थे, एन आँखों की छाया भर थे।
अच्छा लिखा है। आपकी कविता पढ़कर प्रसाद की पंक्तियाँ याद आगई- वो कुछ दिन कितने सुन्दर थे
जवाब देंहटाएंसावन घन सघन बरसते थे, एन आँखों की छाया भर थे।
beete huye din kahan lautte hain magar hum unhein phir se jeena chahte hain ek baar.............yahi hai manav man.........achchi prastuti hai manav man ki.
जवाब देंहटाएंसुन्दर काव्य चित्रण
जवाब देंहटाएं---
गुलाबी कोंपलें । चाँद, बादल और शाम