राजू का ताश के पत्तो का साम्राज्य ढह रहा है और बाकी सभी खिलाड़ी अपने मन में खुश हो रहे हैं कि माना तो उसी ने है - सो चोर भी केवल बही सावित हुआ. हम उन आँख के अंधे निदेशक बोर्ड के सदस्यों को क्या कहेंगी जिन्होंने कभी बैलेंस शीट पढने की जेहमत नहीं की. कौन मानेगा इस बात को. पब्लिक लिमिटेड कंपनी हर ३ माह मे अपनी बैलेंस शीट अखवार मे छपती है. और उस पर चर्चा होती है. लेकिन उन सबको लगा जैसे कि राजू भैया के पास कोई जादू है जो वो लाभ तेजी से बढा रहे है और शेयर की कीमत भी उस जादू से उपर जा रही है. तो उस लोभी निदेशक मंडल को राजू ने क्यों अपने बयान मे तमाम जिम्मेदारी से मुक्त किया इसकी जांच होनी चाहिए. कंपनी के औडिटर तो शक के घेरे मे नहीं पूरी तरह दोषी है ही उन बैंको के बारे मे क्या जिन्होंने गलत प्रमाण-पत्र दिए. म्यूचुअल फंड के रिसर्च विभाग मे क्या हो रहा था? क्या उन्हें उद्योग की प्रगति पर शक नहीं करना चाहिए था ? और अब क्या अकेली सत्यम मे गड़बड़ है शायद समंदर के पाने मे ही कुछ गड़बड़ है. समूचे वाणिज्य जगत को इस पर पारदर्शक मंथन करना पडेगा.
सत्यम शिवम् सुन्दरम - राजू गंदा अच्छे हैं हम
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सौ फीसदी सही लिखा है. चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को हमने भी मस्का लगाया है इसलिए नहीं की गड़बड़ी की थी, परंतु इसलिए की मीनमेख दिखा कर दुबारा कसरत ना कराए. आभार.
जवाब देंहटाएंमंथन आवश्यक है..सही कहा!!
जवाब देंहटाएंjee theek kaha aapne...magar is manthan se jo vish niklega use kaun niglegaaa...
जवाब देंहटाएंKaun banega shankar, is gandi raajneeti main....
सत वचन...
जवाब देंहटाएंबुरा जो खोजन हम चले
बुरा ना मिलया कोय
जो दिल खोजा आपना
हमसे बुरा ना कोय