लुप्त होते संस्कार और मीडिया का योगदान

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  • मनुदीप यदुवंशी
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  • कल शाम को मै यूँ ही बुद्धू बक्से के सामने बैठ गया. तभी किसी खबरिया चैनल पर एक डिफ्रेंट टाइप का विज्ञापन दिखाई दिया. जो दिखाता है कि एक विदेशी पर्यटक के साथ किसी लोकल (स्थानीय) ने बुरा व्यवहार किया और हमारे गज़नी खान यानी आमिर खान जी लोगॉ को सिखाते है कि अगर हम विदेशी यात्रियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे तो वे क्या सोचेंगे भारत के बारे मॅ. और आस-पास का जन-समूह भावनाओं मॅ बहकर उस लोकल की पिटाई करने लगते हैं, फिर आमिर साहब यह समझाते हैं कि हमें अतिथि के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए. बड़ा अटपटा लगा मुझे वह विज्ञापन देख कर, सोचने लगा कि हम क्या होते जा रहे हैं? फिर सोचा कि इतनी मूलभूत व्यावहारिक बातॅ भी अब किसी जन-जागृति कार्यक्रम के माध्यम से सीखनी पड़ेंगी।
    फिर रात को सोने के बाद मैंने सपना देखा कि बच्चे अपने बड़ों से ठीक से व्यवहार करें। इसे सिखाने के लिये एक टी.वी. कार्यक्रम शुरू हुआ है और उसमें एक नाटिया के माध्‍यम से सिखाया जा रहा है जिसमें एक बच्चा अपने पिता से बोलता है,” अबे बुढऊ, ज़रा सुन तो मुझे तुझसे कुछ काम है.” और तभी कोई ग़ज़नी खान कहता है, “हमें अपने बड़ों से तमीज़ से पेश आना चाहिए.” दूसरे चैनल पर एक स्त्री को अपनी संतान से प्रेम करने और उससे दुलार से पेश आने की सलाह दी जा रही है, उसे माता होने का अर्थ समझाया जा रहा है। तीसरे चैनल को देखा तो उस पर किसी युवती से बात की जा रही है, “क्या आप माँ बनना पसंद करेंगी?” वह जवाब देती है, “अभी तक इस बारे मॅ सोचा नहीं है। हाँ, अगर मै माँ ना भी बनूँ तो इससे क्या फर्क पड़ता है??”.....मैं सपने मॅ हैरान-परेशान हो रहा हूँ.
    मेरे घर से मेरे मोबाइल पर टेलीफोन आता है(सपने में) लाइन पर मेरी बेटी है, कहती है डैडी, मुझे आपको कुछ बताना है?? और मेरे जवाब को सुने बगैर बोलती है, “मैं माँ बनने वाली हूँ....पिछले महीने टोनी के साथ ट्रिप पर गई थी ना, वहीं यह सब हुआ था....पर घबराने की कोई बात नहीं है... मैं गायने से बात कर चुकी हूँ...यह अबोर्ट हो जायेगा....मैं वहीं जा रही थी...तो सोचा कि कम से कम आप को इंफार्म तो कर ही दूँ...” मैं घबरा उठ बैठा। तो पाया मेरी 11 साल की बेटी पास ही अपना होम-वर्क पूरा करने में व्यस्त है....मैं चैन की सांस लेते हुए फिर टी.वी. खोलता हूँ और पाता हूँ कि मरे हुए एक कुत्ते की लाश को फोकस मॅ लिये एक संवाददाता जनता से यह गुहार लगा रहा है “इस कुत्ते की शक्ल देख कर लगता है कि इस कुत्ते की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है, मगर नहीं...हमारी टीम ने बड़ी मेहनत से यह वीडियो हासिल किया है जो इस राज़ का पर्दाफाश करता है कि इस कुत्ते को कितनी बेदर्दी से मारा गया है...” मैं टीवी बंद कर देता हूँ कि कहीं फिर से कोई सच्चाई मेरे सपने में आकर मुझे ना डरा दे।

    1 टिप्पणी:

    1. kal se mein duniyaa bhar ke blog addo kee sair jar rahaa hoon. vichaar vimarsh ke bajay bahut gandee bahas vahaa dekhee dono or se lekin aapka blog in sabke beech behad santulit aur samvedansheel hai. aise hee badhiyaa blog likhte rahe bina ye soche ki koi aapke blog per bahas kartaa hai ya nahee. http://hariprasadsharma.blogspot.com/

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