फूल हंसी के

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • हंसते रहो करो सदैव फनी बातें जमे रहो
    कार्य के समय फूल हंसी के बिखेरते रहो
    हंसते हंसाते रहो जग में धूम मचाते रहो
    सदैव मीठा तोल मोल कर के बोलते रहो

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