सारे लेखक सलीम खान नहीं होते! निर्मल-आनन्द पर एक टिप्पणी

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • कितना ही सावधान कर दो
    मजदूर बनने की मजबूरी कायम रहेगी
    मजे के लिए कोई मजबूर नहीं होता
    मजे से हर मजदूर दूर होता है
    कितना ही भाजन कर लो
    विभाजन कर लो
    जन जन भा ...रत का मजदूर है
    मजदूर ही रहेगा
    सदा मजबूर ही सहेगा।

    1 टिप्पणी:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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