कालों का काल देखो आपातकाल
न कर सके कोई अवाल बवाल
समझो लग गया रे आपातकाल
अभिव्यक्ति की तब गले न दाल
लग जाए देश में जब आपातकाल
गूंजे सब ओर तानाशाही की ताल
जीना बने सबके जी का जंजाल
काल कपाल महाकाल आपातकाल
काल कपाल महाकाल आपातकाल
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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अभिव्यक्ति,
आपातकाल,
तानाशाही
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एक काल यह भी होता है।
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