सरकार हाथी पालती है
इंसान हाथही साधता है
जारी रहीं ऐसी सलाहें
बिकेंगी जल्दी हवायें
जमीन बिक रही है
खरीदक बिक रहे हैं
पानी बिक रहा है
पीवक बिक रहे हैं
जिंदगी बिक रही है
मौतक बिक रहे हैं
हाथ साध लो अगड़म जी
बिक रहा जो बगड़म जी
हाथ साधना ऐसी कला
करो इससे सबका भला
इंद्र का पानी प्लांट उर्फ बरसात कम पर कवितामयी टिप्पणी
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गजब किया अविनाश जी
जवाब देंहटाएंव्यंग्य पर भी कविता पेली।