आज मेरे कवि मित्र श्री नीरेश शांडिल्यान की एक कविता अपने ब्लाग के जरिए पेश कर रहा हूं . आपकी प्रतिक्रिया सीधे मित्र को भी भेज सकते हैं और टिप्पणी भी दे सकते हैं।
सबने गल पा ली है
तू भी पा ले गल
समय चूक मत जाना प्यारे
बन जा अब पागल।
जानी राह मिले मत चलना
सीधी राह मिले मत चलना
समझी राह मिले मत चलना
तू राह अंधेरी चल।
रो रो बात करे सब कोई
तू भी आहें भर
सड़ी बात का बना बतंगड़
कोक मिला कर झल।
गली सड़क चौराहे पर
करते हैं मनमानी
सांड़, सूअर,बकरी,कुत्तों की
दुनिया है दीवानी।
उनकी राह चले जो कोई
बन जाता है प्यारा
बुला मंच पर सभी पंच अब
करते वंदन न्यारा।
ई मेल पता hiteshtripathi983@gmail.com
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