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ब्रसेल्स में 13 वां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव संपन्न

दिनांक 20.05.2023 को बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के गोस्सित सभागार में 13 वां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि रहे बेल्जियम में हिन्दी के चर्चित ग़ज़लकार श्री कपिल कुमार। इस अवसर पर प्रमुख साहित्यकार डॉ मिथिलेश दीक्षित, डॉ क्षमा सिसोदिया, डॉ सुभासिनी शर्मा, सचिंद्र नाथ मिश्र, डॉ. रवींद्र प्रभात आदि की एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकें लोकार्पित हुई। इस अवसर पर अवधी की लोक गायिका श्रीमती कुसुम वर्मा और प्रसिद्ध पत्रकार डॉ आर बी श्रीवास्तव विशेष अतिथि थे। साथ ही विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे ब्रसेल्स के श्री संजय बाली और रेणु बाली। इस अवसर पर हिन्दी की चर्चित कवियित्री डॉ चम्पा श्रीवास्तव को 25 हजार रुपए नकद,शॉल,स्मृति चिन्ह के साथ परिकल्पना शिखर सम्मान से नवाजा गया। साथ ही प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती कुसुम वर्मा और श्री बिमल बहुगुणा को परिकल्पना हिन्दी उत्सव सम्मान प्रदान किया गया। वहीं 5100/- रुपए नकद, अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह के साथ डॉ क्षमा सिसोदिया, सचिंद्रनाथ मिश्र और डॉ सुभाषिणी शर्मा को परिकल्पना सम्मान प्रदान किया गया। लगभग दो दर्जन विद्वतजनों क्रमश: डॉ अनिता श्रीवास्तव, कल्पना अग्रवाल, कविता सक्सेना, डॉ सुकेश शर्मा, डॉ पूनम सिंह, प्रिया मिश्रा, बृज किशोर अग्रवाल, अनिल सक्सेना, शुभम शर्मा, आयुषी सिंह, नंदिनी रावत, माला चौबे, शुभ चतुर्वेदी, उर्विजा प्रभात आदि को परिकल्पना हिन्दी उत्सव यात्रा सम्मान प्रदान किया गया।
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डॉ उर्मिला शुक्ल को अविनाश वाचस्पति स्मृति परिकल्पना दशक सम्मान


जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत दस वर्षों मे परिकल्पना परिवार ने अपने दो महत्वपूर्ण साथियों को खोया है। एक डॉ अमर कुमार और दूसरे अविनाश वाचस्पति । इन दोनों शख़्सियतों का जाना किसी करिश्मे का ख़त्म होने जैसा रहा है। उन दोनों विभूतियों के अचानक अलविदा कह देने से केवल हिन्दी ब्लॉगिंग को ही नहीं बल्कि इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ । डॉ अमर कुमार ने जहां अपनी चुटीली टिप्पणियों से ब्लॉग पर नए-नए मुहबरे गढ़कर अपनी स्वतंत्र छवि विकसित की थी वहीं अविनाश वाचस्पति ने ब्लॉग पर नए-नए प्रयोगों को प्रतिष्ठापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
परिकल्पना द्वारा इन दोनों विभूतियों की स्मृति में ग्यारह हजार रुपये के दो पुरस्कार क्रमश"अमर कुमार स्मृति परिकल्पना दशक  सम्मान" हैदराबाद, तेलांगना से सम्पत देवी मुरारका को तथा "अविनाश वाचस्पति  स्मृति परिकल्पना दशक सम्मान" रायपुर, छतीसगढ़ की डॉ. उर्मिला शुक्ल को देने का निर्णय लिया गया है। आज उसकी सूची निर्णायकों ने सौंप दी है। दोनों महत्वपूर्ण सम्मान महिला ब्लॉगर के हिस्से में गया है, जिन्हें आगामी क्रमश: 25 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की आर्थिक राजधानी ऑकलैंड और 31 दिसंबर 2016 को न्यूजीलैंड की सांस्कृतिक राजधानी वेलिंगटन में सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा। एक ब्लॉगर उत्तर भारत से और एक दक्षिण भारत से हैं।
हिंदी में यात्रा वृतांत की सुपरिचित हस्ताक्षर हैदराबाद (तेलंगाना) निवासी श्रीमती सम्पत देवी मुरारका, जिन्होने 2011 में बहुवचन नामक ब्लॉग प्रारम्भ किया जिसमें नेपाल, थाईलैंड, हांगकांग, सिंगापुर, लन्दन, बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली, फ्रांस, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, बफलो, फिलाडेल्फिया, वाशिंगटन डी.सी., वर्जीनीया, लॉस एन्जलस, लॉस वेगास, नेवेडा ग्रेंड केनन, सोलावेंग, हर्ष कैशल, सेन फ्रांसिस्, बर्सटोव, थौस्मिट नैशनल पार्क, लन्दन ब्रीज, सेंडीगो, 9सी वर्ल्ड), बाल्टीमोर, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन दुबई,आबूधाबी और युएई आदि देशों की यात्रा कर उन्होने वहाँ के सुखद संस्मरणों को अंकित करते हुये सृजन को नया आयाम देने की कोशिश की। वे एकसाथ कई विधाओं में सार्थक हस्तक्षेप रखती हैं। उन्हें 15 से 18 जनवरी 2015 के दौरान भूटान में आयोजित चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान से अलंकृत और विभूषित किया गया था। इसके अलावा वे पूर्व में भारतीय संस्कृति निर्माण परिषद्, हैदराबाद का महारानी झांसी पुरस्कार, भारतीय वांगमय पीठ, कोलकाता का सारस्वत सम्मान, जैमनी अकादमी पानीपत, हरियाणा का रामधारी सिंह दिनकर सम्मान, भारतीय संस्कृति निर्माण परिषद्, हैदराबाद का जन जागृति सद्भावना पुरस्कार, तमिलनाडू हिंदी साहित्य अकादमी, चेन्नई का साहित्य सेवी सम्मान आदि से अलंकृत और समादृत हो चुकी है।

 हिंदी कहानी और कविता की सुपरिचित हस्ताक्षर रायपुर (छतीसगढ़) निवासी डॉ उर्मिला शुक्ल ने 2011 में मनस्वी नामक ब्लॉग प्रारम्भ किया जिसमें स्त्री शक्ति और लोकरंग को उन्होने प्रमुखता के साथ उठाते हुये सृजन को नया आयाम देने की कोशिश की। वे एकसाथ कई विधाओं यथा कहानी ,कविता , समीक्षा , शोध पत्र , यात्रा संसमरण आदि पर सार्थक हस्तक्षेप रखती हैं। उनकी पुस्तक ‘हिंदी अपने अपने मोर्चे पर‘ म. प्र. साहित्य परिषद द्वारा 1995 में पाण्डुलिपि प्रकाशन योजना के तहत पुरष्कृत एवं प्रकाशित हुयी है। उनकी प्रकाशित कृतियों में हिंदी अपने अपने मोर्चे पर, फूलमती तुम जागती रहना आदि प्रमुख है। उन्हें विगत 25 मई 2015 को कोलंबो (श्रीलंका) में आयोजित पंचम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में परिकल्पना सार्क सम्मान से अलंकृत और विभूषित किया गया था। अभी हाल ही में कलमकार फाउंडेशन नई दिल्ली की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में उनकी कहानी ‘सलफी का पेड़ नहीं औरत‘ को पुरस्कार के लिए चुना गया था। छत्तीसगढ़ से चुनी जाने वाली ये एकमात्र कहानी है। बस्तर पर आधारित ये कहानी-कहानी जगत में छत्तीसगढ़ को रेखांकित करती है।
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हिंदी ब्‍लॉगरों का इस वर्ष का नया गीत - अविनाश वाचस्‍पति मुन्‍नाभाई

आप हिंदी साहित्‍यकारों की सुनो
हिंदी साहित्‍यकार सुनेंगे जरूर
हिंदी ब्‍लॉगरों की

चाहे पुकारो उन्‍हें हिंदी ब्‍लॉगर
या समूचे अंतर्जाल के चिट्ठाकार
सब सबकी सुनेंगे

पाठक, लेखक और प्रकाशक
इतना तो तय है कि होगा फायदा
नीतियों की उन्‍नति का कायदा

पी एम मोदी ने भी है फरमाया
विकास हरेक अपेक्‍िशत ने पाया
इसमें न कोई भ्रम अौर माया

चलो भूटान मिलो भूटान
वहीं मिल जुल मन करेंगे
अल्‍पाहार अौर  भोजन

अभिव्‍यक्ति अनुभूति का लिखेंगे
रोज नव नूतन इतिहास
क्रांति का बिगुल बजायेंगे

रोज लिखेंगे इबारत नयी
झण्‍डा हिंदी ब्‍लॉंगिंग का
परचम मनभावन फहराएंगे।

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व्‍यंग्‍य भूषण सम्‍मान लेने चला भूटान - अविनाश वाचस्‍पति

व्‍यंग्‍य भूषण
शब्‍दों का आभूषण
कल्पना नहीं परिकल्पना की
सच्‍चाई है
सपना नहीं सच है
मिल रहा है भूटान में
देश के शब्‍द
पा रहे सम्‍मान
विदेश में विचार
भा रहे पाठकों को
चाह बने लेखकों की
राह बने फैन्स की
अब पसंद भूटान की
चलो भूटान
चलें भूटान
काठमांडू पहुंचना
सच न हो सका
भूटान पहुंचना
रुक न सकेगा
रोक न सकेगा कोई
चला भूटान

15 जनवरी 2014 में।
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'परिकथा' के ताजा अंक में........परिकल्पना नुक्कड़ सम्मान





अविनाश वाचस्पति को मिले
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सम्मान
एवं 'परिकल्पना नुक्कड़ सम्मान ' की चर्चा -
चर्चित साहित्यिक पत्रिका -
'परिकथा' के ताजा अंक में.........

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केवल दो दिन शेष .....देखना न भूलें

हिंदी चिट्ठाजगत में कुछ ऐसे चिट्ठाकार हैं जिनके तेवर का अंदाजा उन्हें गहराई से पढ़े और महसूस किये बगैर नहीं लगा सकते ....जो अपने मस्तिस्क की आग को समूची दुनिया के हृदय तक पहुंचाने को बेताब है और पूरी दुनिया की क्रान्तिधारा को आप तक पहुंचाने को तत्पर ।
किसी को कविता में महारत हासिल है तो किसी को कहानी या फिर संस्मरण में .....कोई आलेख तो कोई शब्दों की श्रृंखला बनाता है .....कोई करता है उद्घोष अपनी राष्ट्रभाषा का तो कोई जूनून की हद तक जाकर करता है सृजन कर्म ....कोई गीत रचता है तो कोई ग़ज़ल ....सबकी अपनी -अपनी अलग विशेषता है । सभी अपने फन में माहिर है सभी श्रेष्ठ हैं ......हम इन्हीं श्रेष्ठ सृजनकारों से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं १२ जुलाई से प्रत्येक दिन परिकल्पना और ब्लोगोत्सव-२०१० पर प्रात: ११ बजे और अपराह्न ३ बजे .........देखना न भूलें !
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कला के माध्यम से ही हम समाज को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं: सुमन सिन्हा

जैसा कि आप सभी को विदित है कि आगामी कुछ महीनों बाद लखनऊ में अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की तैयारी चल रही है और इसके क्रियान्वयन की दिशा में ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम पूरीतरह कटिबद्ध है । उल्लेखनीय है कि ब्लोगोत्सव-२०१० में अपनी सकारात्मक टिप्पणियों तथा रचनाओं के साथ शामिल प्रमुख उद्योगपति ,चिन्तक और आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख सदस्य श्री सुमन सिन्हा जी ने इस आयोजन को भव्यता के साथ संचालित करने दिशा में हर प्रकार से सहयोग करने का वचन दिया है ।


अचानक दिनांक २४.०६.२०१० को श्री सुमन सिन्हा जी का मेल मुझे प्राप्त हुआ कि मैं कल यानी २५.०६.२०१० को इंडिगो की फलाईट से मुम्बई से चलकर लखनऊ आ रहा हूँ और आपके साथ एक संक्षिप्त बैठक करना चाहता हूँ , ताकि कार्यक्रम को संपादित करने की दिशा में किसी निर्णय पर पहुंचा जा सके ।


जिस समय सूचना मिली मैं भी लखनऊ से बाहर था , किन्तु मिलने की आतुरता और सुयोग बन जाने के कारण यह सकारात्मक मुलाक़ात संभव हुई ।


अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव-२०१०
की पहली तैयारी बैठक में मेरे साथ ब्लोगोत्सव के सांस्कृतिक सलाहकार श्री जाकिर अली रजनीश और लोक संघर्ष के श्री रणधीर सिंह सुमन उपस्थित थे । ज्ञातब्य हो कि श्री सुमन सिन्हा जी के समक्ष कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गयी तथा कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों से उन्हें अवगत कराया गया, साथ ही उन्हें इस कार्यक्रम के संभावित बज़ट की जानकारी भी दी गयी । इस तैयारी बैठक में उनके द्वारा कई सुझाव सभा पटल पर रखे गए तथा आगे की रणनीति पर व्यापक चर्चा की गयी ।
उनके द्वारा दिए गए सुझाव में प्रमुख था , कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग से संवाधित कार्यक्रम भी हो और प्रत्येक सत्र की शुरुआत से पूर्व १० या १५ मिनट मेडिटेशन के लिए सुरक्षित रखा जाए , ज्यादा से ज्यादा नए और युवा चिट्ठाकारों को शामिल किया जाए । सम्मान समारोह की भव्यता पर विशेष ध्यान दिया जाए......आदि । लीजिये पढ़िए उन्ही के शब्दों में कि उन्होंने क्या कहा ?

"निश्चित रूप से अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की ये पहल प्रशंसनीय है . मैं इस पहल का स्वागत करता हूँ और इसके क्रियान्वयन में अपनी सकारात्मक सहभागिता का विश्वास दिलाता हूँ .साथ ही रविन्द्र जी को एक सुझाव भी देना चाहता हूँ कि परिकल्पना के माध्यम से एक ऐसा कार्यक्रम अंतरजाल पर चलाया जाए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित हो तथा उन्हें कला और संगीत की सही तालीम देते हुए समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सके, क्योंकि कला के माध्यम से ही हम समाज को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं ..........

................सुमन सिन्हा "

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वहुप्रतिक्षित परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा शीघ्र



जैसा कि आप सभी को विदित है कि विगत १५ अप्रैल को परिकल्पना पर ब्लोगोत्सव-२०१० की भव्य शुरुआत हुई थी । उल्लेखनीय है कि पहली बार इंटरनेट पर इसप्रकार का अनोखा प्रयोग हुआ है और यह उत्सव हिंदी ब्लॉग जगत के लिए कामयाबी की एक नयी परिभाषा गढ़ने में समर्थ हुआ है . ब्लोगोत्सव के समूचे परिदृश्य को लोकसंघर्ष पत्रिका द्वारा एक आकर्षक विषेशांक का स्वरुप प्रदान किया जा रहा है ताकि दस्तावेज के रूप में सुरक्षित रखा जा सके और इस उत्सव से जुड़े प्रतिभागियों को एक नया आयाम प्रदान किया जा सके . इसी अनुक्रम में आगामी कुछ महीने बाद लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव की परिकल्पना की जा रही है, जिसमें ब्लोगोत्सव-२०१० में शामिल ५० श्रेष्ठ चिट्ठाकारों को सम्मानित किये जाने की योजना है । इस दिशा में कई बैठकें हो चुकी है और यह प्रक्रिया भी अपने आखिरी और निर्णायक दौर में है ।
मेरे समझ से ब्लोगोत्सव-२०१० में शामिल सभी रचनाकार आज के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में सर्वाधिक अग्रणी हैं । सभी एक से बढ़कर एक हैं । सभी की रचनाएँ प्रेरणादायक और सारगर्भित है । यही वह कारण था कि बिभिन्न वर्गों से श्रेष्ठ रचनाकारों के चयन में हमारी ब्लोगोत्सव की टीम पूरे पंद्रह दिनों तक माथापच्ची करती रही, आपस में मैतेक्य बनाने का लगातार प्रयास होता रहा और मेल से सुझाव प्राप्त किये जाते रहे । कई वर्गों में दो-तीन नाम ऐसे थे जिसमें से श्रेष्ठ का आकलन कठिन था , खैर जहां हमारी टीम को नाम चयन में कठिनाई महसूस हुई वहां जानकारी जुटाकर उनकी सक्रियता और उनकी रचनाओं पर टिप्पणी को महत्व देते हुए सम्मान हेतु चयन कर अंतिम निर्णय हेतु मुझपर छोड़ दिया गया ......अब मेरे लिए वह क्षण ज्यादा पीडादायक था जब इस सम्मान के लिए मैं अपने प्रिय रचनाकारों के नाम पर विचार नहीं कर पाया ।
परिकल्पना सम्मान-२०१० हेतु विभिन्न वर्गों से ५० चिट्ठाकारों के नाम -चयन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है । अगले महीने के प्रथम सप्ताह में हम वहुप्रतिक्षित परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा परिकल्पना पर करने जा रहे हैं
() रवीन्द्र प्रभात
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