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समय बिताने के लिये चिट्ठा न लिखें,कुछ सार्थक लिखें

ब्लॉगोत्सव में --

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आज के कार्यक्रम का आकर्षण :
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अपनी बात में आज : 

चाँद के पार में आज:  
विशेष :
सीधी बात में आज गिरीश बिल्लोरे के संग शिखा वार्ष्णेय सीधी बात :01 “प्रवासी चिट्ठाकार एवम साहित्यकार “

कामायनी के ७५ वर्ष :

काव्य सृजन में आज  :

और शाम-ए-अवध में सुनें आज डा. सुप्रिया जोशी की आवाज़ में : रोशनी बनकर जियो 


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नेट पर साहित्‍य : पूर्णिमा वर्मन जी का वक्‍तव्‍य

मुकाबला हमसे न करो, हम ...
प्रवासी लेखकों की कहानियों के कथानक अजीब नहीं है, वे अलग है, उनकी सोचने का तरीका, उनका परिवेश, उनका रहन सहन, बहुत सी बातों में आम भारतीय से अलग है। उनका यह अलगपन उनकी कहानियों में भी उभरकर कर आता है। यह प्रवासी कथाकारों की कमजोरी नहीं शक्ति है। तभी तो सामान्य अंतर्राष्ट्रीय पाठक इनके देश, परिस्थितियों, संवेदनाओं और परिणामों से अपने को सहजता से जोड़ लेते हैं। इतनी सहजता से जितनी सहजता से वह भारत की हिंदी कहानी से भी खुद को नहीं जोड़ सकते  पूरा पढ़ने की इच्‍छा हो और कुछ कहना भी चाहते हों तो यहां पर क्लिक कीजिए
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हिन्‍दी ब्‍लॉगरों लड़ाई झगड़े छोड़ो : अपनी ताकत जमाने को दिखला दो - अभिव्‍यक्ति को अपनी साकार करो (अविनाश वाचस्‍पति)

जलजला कुमार और ढपोरशंख और बेनामी सरीखे हिन्‍दी ब्‍लॉगर-टिप्‍पणीकारों से विशेष आवाह्ल।


कमल से लो सीख लो। वो खुद सिखलाने नहीं आएगा। आप उसकी जीवन प्रक्रिया को जानो, समझो और मंथन करो। जिस प्रकार कमल का फूल गंदे पानी के तालाब में रहकर भी पुष्पित होता है । जीवन की तरह, जीवन के लिए खिल उठता है। आप भी सबके जीवन में वैसे ही रंग भरो। मोर के साथ भी ऐसा ही है, पर उसके पैरों की गंदगी की तरफ गौर मत करो। उससे ऊपर की सुंदरता निहारो। मयूरपंख के सौंदर्य को भला भुलाया जा सकता है। वह छिपाया भी नहीं जा सकता है। इंसान भी बुराईयों और गंदगी पर टिका हुआ है। उस बुराई और गंदगी को अपने मन पर जगह पर मत दो। अपनी ऊर्जा को उसी में निरर्थक मत गंवाने दो। जमाने को दिखला दो कि बुराई और गंदगी, विवाद और झगड़ों के मध्‍य रहकर भी हम ऐसा रच सकते हैं, जिस पर जमाने को गर्व हो सकता है। नहीं रच सकते ? कोशिश तो कर सकते हैं, एक बार, दो बार न सही, पर बार बार कोई असफल नहीं होता है। किसी दिन तो असफल में से अ हटेगा और उसके बाद सफलता आपकी कलम या कीबोर्ड को चूमेगी और उसके बाद स भी हट जाएगा और फल की प्राप्ति होगी। वो फल कैसा होगा, कैसा होगा उसका स्‍वाद, कितनी मात्रा में मिलेगा - यह सब आपकी सफलता और असफलता से निर्धारित होगा। सफलता पाने के लिए निराश होना नहीं, अनुभवों से सीखना जरूरी है। अनुभवों के सभी भावों को जान लो, अपने विचारों में उतार लो। फिर जो फल मिलेगा, वो सिर्फ आपको ही नहीं, सबको पसंद आएगा। पूरी गुणवत्‍ता और मात्रा में मिलेगा। लेकिन अब मैं भाषण बंद करता हूं। आपको और भी पोस्‍टें पढ़नी हैं, टिप्‍पणियां करनी है। इसके अतिरिक्‍त जीवन के और सत्‍यों से दो चार होना है।
आप अभिव्‍यक्ति से परिचित होंगे और अनुभूति से भी परंतु अनुभूति की अभिव्‍यक्ति से अगर नहीं हैं परिचित तो अभी हो जाएं और इस लिंक को क्लिक करना छोड़कर आगे मत बढ़ जायें। अगर आगे बढ़ गये तो फिर यह अवसर हाथ नहीं आयेगा। अवसर सिर्फ 10 जून 2010 तक ही है। कलम अगला विशेषांक- कमल नहीं माउस इस पर क्लिक करें।
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जयजयवंती सम्‍मान समारोह



साथियों, अभिवादन।
उपर चित्र पर क्लिक करने से कार्यक्रम का
निमंत्रण साकार हो उठेगा तो

जो हिन्‍दी से करते हैं प्‍यार
हिन्‍दी में लिखते हैं विचार सार
अभिव्‍यक्ति और अनुभूति को
जानते हैं, और जानने से अधिक
मानते हैं, तो वे पूर्णिमा वर्मन जी
और उनके हिन्‍दी संसार के सागर
को महासागर बनाने के प्रयत्‍नों से
भी अवश्‍य परिचित होंगे, उनमें से
एक आप भी हैं, और आपकी
आपके परिचितों की, उपस्थिति
जयजयवंती सम्‍मान समारोह में
हिन्‍दी को बल प्रदान करेगी।
मैं वहीं मिलूंगा, आपसे मिलना चाहता हूं
नेट नेह निमंत्रण अग्रेषित कर रहा हूं। स्‍वीकारें।
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