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भूपेन हजारिका दिलों में बसे हुए हैं और दिल की बस्‍ती में बसने वाले कहीं जाया नहीं करते - अविनाश वाचस्‍पति

भूपेन दा से कई बार साक्षात मिलना हुआ। वे विनम्रता और सौजन्‍यता की प्रतिमूर्ति, जिससे मिलते उसके दिल में बस जाते थे और दिल की बस्‍ती में बसने वाले कहीं नहीं जाते हैं। वे दिल में ही रहते हैं, जब चाहे गर्दन झुकाई और दीदार कर लिया। दिल यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि वे चले गए हैं। वे यहीं हैं, यहीं हैं और सदा यहीं रहेंगे।  
- अविनाश वाचस्‍पति, नुक्‍कड़ मॉडरेटर की विनम्र श्रद्धांजलि


१९९२ में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म भूषण से नवाजे जा चुके 86 वर्षीय हजारिका का 29 जून से अस्पताल में उपचार चल रहा था। हजारिका देश के ऐसे विलक्षण कलाकार थे, जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। 
मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह के निधन के बाद देश ने एक और ख्यात गायक को खो दिया। पिछले कई दिनों से जिंदगी और मौत से जूझ रहे जानेमाने गायक भूपेन हजारिका का शनिवार को निधन हो गया। कई दिनों हजारिका की हालत गंभीर बनी हुई थी।
वे मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती थे और डायलिसिस पर थे। निमोनिया होने के बाद 23 अक्टूबर को हजारिका की हालत बिगड़ गई थी। उनकी एक मामूली सर्जरी करनी पड़ी। उन्हें संक्रमण था। 
हजारिका का जन्म असम के सादिया में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने अपना प्रथम गीत लिखा और दस वर्ष की आयु में उसे गाया। साथ ही उन्होंने असमिया चलचित्र की दूसरी फिल्म इंद्रमालती के लिए 1939 में बारह वर्ष की आयु में भी काम भी किया।
उन्होंने न सिर्फ गीत लिखे बल्कि कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। हजारे को इस साल अपना जन्मदिन भी अस्पताल में ही मनाना पड़ा। उनका जन्मदिन आठ सितंबर को पड़ता था। इस दिन वे अस्पताल में ही भर्ती थे।  
भूपेन हजारिका ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीए और एमए किया था। हजारिका ने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी। 
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मेरे देश की धरती सोना उगले ....... (अविनाश वाचस्‍पति)


मेरे देश की धरती सोना उगले गीत की पंक्तियां कानों में पड़ते ही अभिनेता मनोज कुमार की याद आ जाती है जबकि इस गीत के गीतकार गुलशन बावरा थे। वे नहीं रहे पर उनके गीत सदा रहेंगे। उनके गीतों का रहना ही उनका रहना है। गुलशन बावरा जी के खाते में अनेक बेहतरीन नेक गीत शुमार हैं जिनमें खुल्‍लम खुल्‍ला प्‍यार करेंगे हम दोनों, यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी, सनम तेरी कसम, अगर तुम न होते, आती रहेंगी बहारें और जीवन के हर मोड़ पर मिल जाएंगे हमसफर प्रमुख हैं और अभी भी धड़ल्‍ले से सबको मोहित कर लेते हैं। इन गीतों के रचयिता को बावरा उपनाम फिल्‍म वितरक शांतिभाई पटेल ने उनके रंग बिरंगे परिधान पहनने पर दिया था और वे इसी नाम से विख्‍यात हो गए।

जाना तो सबको है पर इनका जाना जाना नहीं कहा जा सकता। बावरा जी यहीं हैं और यही रहेंगे।

उनकी इच्‍छा का सम्‍मान करते हुए उनकी देर को दान किया जाएगा इसलिए अंतिम संस्‍कार नहीं होगा। उनकी देह को जे जे अस्‍पताल ले जाया जाएगा। उनके परिवार में उनकी पत्‍नी हैं।

नुक्‍कड़ की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। विस्‍तृत समाचार यहां पढ़ सकते हैं ...
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