जब कुदरत की नियामत ही कहर बन जाए तो फिर किसी के लिए भी इससे बदतर
हालात और क्या हो सकते हैं और जब ऐसी स्थिति का सामना किसी मूक जानवर को करना पड़े
तो समस्या और भी मुश्किल हो जाती है. बीते कुछ सालों से कुछ ऐसी ही बदकिस्मती का
सामना दुनिया भर में विख्यात असम के एक सींग वाले गैंडे को करना पड़ रहा है. इन
गैंडों की दुर्लभ पहचान उनका सींग ही उनकी जान का दुश्मन बन गया है. इस छोटे से
सींग की खातिर शिकारी इस विशालकाय जानवर का क़त्ल करने में भी नहीं हिचकिचा रहे.
गैंडों के बढ़ते शिकार
आगे पढ़े :www.jugaali.blogspot.com



नवरात्रों की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (28-03-2015) को "जहां पेड़ है वहाँ घर है" {चर्चा - 1931} पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रोकना जरूरी है इस विनाश को
जवाब देंहटाएं