चूहे देखने में छोटन लगें ज्यों नाविक के तीर पर किसी से डरते नहीं हैं चूहे। वे चूहे ही क्या जो नेताओं से पीछे रहें। चूहे न नेताओं से पीछे रहते हैं और न ही उनके पीछे लगते हैं। माना कि नेताओं की तूती वब जगह बोलती है पर एक चूहे ने उत्तम प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सदा सत्य बोलने वाले सचिवालय के बिजली के तार कुतरने का श्रीगणेश किया है। चूहे की हिम्मत की दाद देनी पड़ रही है कि उसने हाथी जैसा विशालकाय जिगर पाया है और वह हाथी का लखते जिगर बन बैठा है। अब वह हाथी के जिगर के बालिश्त भर के जिगर की बराबरी कर रहा है। इसे ही तो कहा गया है कि ‘जिगर से बीड़ी सुलगाय ले’। इसे ही तो कहते हैं कि बीड़ी से जिगर जलाने वाला खेल, जलवा और रुतबा। अब तक हमारा हाथी जिंदा लाख रुपये की कीमत का तथा मरा हाथी सवा लाख रुपये की कीमत जितना मूल्यवान रहा है। परंतु अब मुहावरों के क्षेत्र में क्रांति का श्रेय एक चूहे ने अपने नाम कर लिया है कि तिरुवनंतापुरम के सांसद ने एक मरे हुए चूहे के साथ चित्र खिंचवाकर दिखा दिया क्योंकि उन्होंने अपने निर्वाचन एरिया में गंदे समुद्रीय जल की सफाई की थी। इससे मालूम चलता है कि चूहों की हिम्मत और खेल भावना का वर्चस्व अब दुनिया देखेगी। पहली बार है इसलिए ऐसी मिसाल भी अन्यत्र नहीं है। जबकि सौ चूहे मार कर हज यात्रा पर विमान जैसे काले कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है, इसके लिए चूहों ने अपनी जान की बाजी पर खेल किया है।
अब भला किसमें इतनी हिम्मत है कि किसी चूहे की दबंगई पर सवाल उठाए। चाहे किसी चूहे को एक दिन का सी एम तक नहीं बनाया गया है पर उसके किए गए कार्य की गूंज दुनियाभर के मीडिया के द्वारा प्रिंट, चैनलों इत्यादि पर संपूर्ण क्रांति का बाप बन चुकी है। वह क्रांति क्या आज, जो संसार के सोशल मीडिया पर अनवरत प्रचारित और प्रसारित हो रही है। क्रांति की मूल अवधारणा से मेल खाती यह पाती सब जगह सम्मान पा रही है, कोई इसे पा ... पा ... पा ..... कहकर गुहार लगा चुका है। चारों ओर पापा ओ पापा की गूंज गुंजायमान हो रही है। सिर्फ हम ही जानते हैं कि इसकी उत्पत्ति के जनक संपूर्ण क्रांति के पिता ही हैं। आप उन्हें पिताजी कहने को मजबूर ही नहीं हुए हैं बल्कि गर्व महसूस कर रहे हैं। चूहे जो अब तक रसोई, कमरे, अलमारियों, गंदी नालियों में घमासान मचाते रहे हैं, अब जल्दी ही आप इन्हें इनके नए रूप स्वरूप में देखेंगे। चूहे अब तक सिर्फ कंप्यूटर की कमांड संभालते रहे हैं पर अब जल्द ही मोबाइल सैल फोन की कमांड संभालते दिखाई देंगे। वह अपनी चूहिया प्रेमिकाओं से चैट में मशगूल नजर आएंगे। चूहों का यह नया चेहरा मार्क जुकरबर्ग को चूहे के चेहरे के लिए चेहराबुक यानी फेसबुक ओपन करने के मोहक प्लान के साथ दिखाई दे रहा है। मार्क जुकरबर्ग यूं किसी से मोह नहीं पालता पर यहां पर छोड़ने के मूड में तनिक भी नहीं है। नालियों, अलमारियों, रसोईयों इत्यादि से बाहर निकलकर चूहों की चुहेबुक का सार्वजनिक प्रदर्शन अपने चरम पर है। इसमें शैंपेन, रम और व्हिस्की चल रही है, बीयर त्याज्य है किसी को उसमें स्वाद नहीं आ रहा है। बीयर का मतलब सिर्फ भालू ही रह गया है और आलू की तरह उसकी तूतियां बोल रही हैं। आलू चिप्स की तूतियों से अधिक महंगी अब आलू की फसल किसानों को लुभा रही है, समझ लीजिए कि किसानों और उनके उगाए गए आलुओं के अच्छे दिन आ गए हैं। आलू के परांठे दुनियाभर में सबको मोहते रहे हैं पर अब परांठों से उपर मतलब परांठे बनने से पहले ही आलू अब अपने गरिमामयी स्वरूप में मौजूद है। आलू और भालू की तुक हेमामालिनी से मिलाने वाले अब चिकनी सड़कों की तुलना आलुओं से करने को विवश हैं। उनकी चिकनाहट भालू के बालों की स्मृतिपटल बन गई है।
इधर चूहे अपनी प्रेमिकाओं से आलू की बढ़ती कीमतों पर चर्चा में जुटै हुए हैं। उधर अन्य सब्जियों में निराशा भाव जन्म ले चुकी है। टमाटर फिसलकर अपनी पुरानी कीमतों से नीचे आकर रुक गए हैं। चाहे लाल सुर्ख हैं टमाटर पर हेमामालिनी आज शर्मिन्दा है और पानी के किसी कंपनी का विज्ञापन कर अपनी झेंप मिटा रही है। जबकि यह काम कोई नौसिखिया अभिनेत्रियां तक करती रही है और कर भी रही हैं। टमाटर अपनी किस्मत को बिसूर रहा है। प्याज आज किसी को अच्छी नहीं लग रही है, कोई उसकी तरफ विलोक नहीं रहा है, प्याज की यह दुर्दशा किस कारण से हुई है, सब इसी पर चिंतन में बिजी हैं। वरना तो प्याज और टमाटर ने आलू की बोलती बंद कर रखी थी पर अब आलू के कारण इनकी और उनकी सभी सब्जियों की बोलती बंद हो चुकी है। जबकि वह लुगाई ही क्या जिसके कारण खाबिंद की बोलती बंद न हुई हो पर वह आज के हलवाई तक बतला रहे हैं कि कौन लुगाई है, कौन हलवाई है, किसकी किसके कारण से बोलती बंद है? चूहे जाज्वल्यमान उष्मा से ओत प्रोत हैं, भला अब भी किसी को बतलाने की जरूरत रह गई है। चूहों ने कीर्तिमान स्थापित कर दिया है, यह आजका वह मूषक है जिसका जादू कंप्यूटर के सिर चढ़कर बोल रहा है।
- अविनाश वाचस्पति
अच्छी प्रस्तुति ! अच्छा व्यंग्य !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर । चूहा मतलब कोकाकोला नहीं चू चू बोला ।
जवाब देंहटाएंचूहों के झुण्ड में कोई चूहा-बाबा नहीं आया अब तक? आ जाना चाहिए वैसे तो.. जय चूहा बाबा की.. उनको मार्ग दिखाओ..
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