मन पर मारकर डेला
जिसने रंगभेद डिलीट किया
पर रक्त जैसा लाल नहीं रंगा
अहिंसा, प्रेम और सादगी
को अपनाकर
गांधी कहलाया
कांग्रेस के कुनबे में
नाम अपना शुमार
नहीं कराया।
नेल्सन ने
किसी के पुत्र को
नहीं मारा नाखून
खून से सदा बचकर रहा
गांधी का चेला
दूसरा सच्चा गांधी कहलाया
जलवा अपना दिखलाया।
- रचनाकार अविनाश वाचस्पतिं
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