बालपन की मुस्‍कराहट का एक मीठा अहसास (काव्‍य)


री‍ती शुभकामनाओं से न पेट भरा करता है
न तृप्‍त होता है मन...
सुन लो मित्रों, जान लो जानेमन
फेसबुक है तो कौन कह गया है
शुभकामनाएं दो और बदले में मंगलकामनाएं लो।

आओ गरमागरम जलेबी खाते हैं दूध के साथ पीते हैं
राबड़ी विशुद्ध दूध की आपको खिलवाते हैं
चित्र इसलिए उनके आपको नहीं दिखला रहे हैं
देखकर ही मन भर न जाए आपका
और बची रह जाए टन भर गरमागरम जलेबी
और तीन ड्रम भर कर ठंडी मोटी मलाई वाली राबड़ी।

दर्शन चाहोगे तो करवाएंगे पर दादाभाई अपनी पोती
रितिषा की मुस्‍कान से आपको मोहने चले आए हैं
जिनका मन हो जीभ का स्‍वाद लेने का
वह गरमागरम जलेबी दांतों के तले चबाएं
राबड़ी से गला कर लें तरबतर
और जिन्‍हें बालपन की मुस्‍कान से अधिक
नहीं चाहिए, वही है सच्‍ची और अनमोल शुभकामनाएं
सुन लें मन के तेज से, महसूस करें भावनाओं की मिठास।

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