इसे
कहते हैं सच्चाई
इसी
से हिन्दी ब्लॉग संसार में
आती
है गरमाई
यही ब्लॉगिंग के संसार
का सार है।
एक
सम्मान दिया डॉ. को
दूसरा
मरीज को
सुंदर
समन्वयन है
इस
कल्पना को
मुन्ना
का बारंबार नमन है।
मन
मेरा अति प्रसन्न है
यह भी
जानता हूं मैं
कई
मित्रों को नहीं पसंद
यह
बेतुका चयन है
जबकि
संसार जानता है
डॉ.
और मरीज का
खूब
गहरा नाता है।
बीमारी
के आगे सिर्फ
डॉक्टर
ही ठहर पाता है
बोलना
चाहे मरीज
असंतुलित
होकर तब
बीमारी
दर्द भरती है ।
सारे
शरीर पर अवैध
या
वैध, कब्जा जरूर करती है
यह
अद्भुत संयोग है
डॉ.
और मरीज के नाम का
प्रथम
अक्षर 'अ' है
यह भेद
अभेद है
बीमारी
को इसमें भी खेद है
बीमार
और डॉक्टर में
नहीं
कोई गतिरोध है
न कोई
अवरोध है
विरोध
है दोनों का
तो
सिर्फ बीमारी से।
डॉ.
को कर रहे हैं सम्मानित
बहुत
अच्छी बात है
बीमारी
को कर रहे हैं सम्मानित
यह
अचरज की शुरूआत है।
सोच
रहे होंगे
कर दो
अभी सम्मानित
फिर
मौका मिले, न मिले
परिकल्पना
कल्पना ही रह जाए
हकीकत
न बने
परी बनकर ही उड़ जाए।
सरकारें
तो बाद में पहचानती हैं
वे
बाद में ही किसी के काम को
जानती
हैं, मानती हैं
पर
डॉक्टर जानते हैं
बीमारी
कितनी गहरी है
इस
बार बनी बहरी है
न
सुनती है डॉक्टर की
न
बीमार को चाहने वालों की।
उनकी
दुआओं का
असर हो तो रहा है
पर
कहां हो रहा है
इसे न
डॉक्टर जानते हैं
न
बीमार
न
चाहने वाले
न
डांटने वाले
न
पुरस्कार बांटने वाले।
मुझे
मालूम है कि
यह
रेवडि़यां मीठी नहीं हैं
क्योंकि
मुझे डायबिटीज बाद में
हेपिटाइटिस
सी रोग पहले है
एक का
इलाज है ता-उम्र दवाईयां
और
दूसरी लाइलाज है
मित्रों
की दुआएं दोनों में कारगर हैं
वरना
तो दूसरी बीमारी
वो
अजगर है
जो
चबा जाती है जिगर
जिसे
आप जानते हैं
लीवर
या यकृत नाम से।
कविता
लंबी चाहे कितनी हो जाए
पर
कभी किसी बीमारी से लंबी
खींचने
से भी हो नहीं सकती
और दुआ
के सामने
सिर
उठा नहीं सकती।
वही
शक्ति है
वही
बीमार की पॉवर है
मुझे
वही वर चाहिए
वर
यानी वरदान
मैं
कोई महिला या कन्या नहीं हूं
कि
मुझे वरे कोई, वर बने कोई
वैसे
बीमारी ने मुझे वर लिया है
आवरण
में अपने कस लिया है।
मुझे
शब्दों की शक्ति की
पॉवर
देना दुआओं में अपनी
मेरे
मित्रों
शत्रुओं
इतना रहम तो
करना
मुझ बीमार पर
बीमार
चाहे बना रहूं जीवन भर
कोई
गम नहीं
पर
शब्दों और विचारों की बीमारी
से
छुटकारा न मिले मुझे
यही
मेरी चाहना है।
यही
एक बीमारी का
दूसरी
बीमारी से
अहिंसक
तौर पर लड़ने
का है
गठबंधन।
मेरी
शक्ति है
शब्द
और विचार ही
मेरी
भक्ति हैं।
इसलिए
मुझे हो गई है
जीवन सुखों
से विरक्ति है।
- अविनाश (बीमार) वाचस्पति
20 अगस्त
2013
डॉ और मरीज :)
जवाब देंहटाएंमरीज एक डॉक्टर अनेक
हटाएंडॉक्टर जी के चमक रहे
सितारे हैं
मरीज चन्द्रमा बने रहें
कहीं पर भी एक ही रहें।
वाह बहुत बढिया ...
जवाब देंहटाएंतकलीफ में भी खुश रहना कोई आपसे सीखे ...
बीमारी भी तो खुश रहना चाहती है
हटाएंउसे भी तो खुश रहने का अधिकार है
हर कोई उसे धक्का दे
यह कहां का इंसानी प्यार है।
आपका उत्साह प्रेरक है अविनाश जी, हमारी शुभकामनायें हमेशा आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंआपका आभारी हूं संजय भाई
हटाएंआप दोनों को परिकल्पना सम्मान बहुत-बहुत मुबारक हो...
जवाब देंहटाएंरब से दुआ है, आप खुश रहें और दूसरों के खुश रहने में भागिदार बनते रहें...
डॉक्टर साहब खुश रहेंगे
हटाएंमैं खुश रहूंगा तो
हो जाएगी बीमारी दुखी
इसलिए उन्हें ही रहने दें
खुश खुश जिससे बनती है
खुशी
खुश होते हैं मित्रगण।
बल्ले बल्ले हो गई
जवाब देंहटाएंबीमारी को मारिये गोली
खेलते रहें शब्दो की होली
पुरुस्कार मिलना माना
कि बहुत अच्छा होता है
सबको ऎसे ही नहीं
लेकिन कोई दे देता है
मैं ये नहीं कह रहा हूँ
कि आपने पव्वा
कोई लगाया है
आपको मिला है
हमारा दिल भी
उछल उछल के
इस खबर को पढ़ने
और आपको बधाई
देने के लिये ही
यहा पर आया है
शब्द ही तो होते हैं
जो किसी के बाप
के नहीं होते हैं
जो करना जानते हैं
प्रयोग वो तो योगी
खुद ही होते हैं
लगे रहिये
लिखते रहिये
कुछ कुछ टिप्स
अपने शिष्यों को
भी कभी कभी
दे दिया कीजिये
जय हो जय जय हो
जयजयकार हो !
आप स्वस्थ और सुन्दर व्यक्तित्व के धनी बने रहें यही अभिलाषा है
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभाकांक्षाएं
जवाब देंहटाएंसदैव स्वस्थय रहें एवम उत्साहित करते रहें..
दिसम्बर में जबलपुर मीट करवाना है न.........