देश में एकाएक रोसगुल्लों का अकाल पड़ गया है क्योंकि सैनिकों ने इसे सीमा से भारत में घुसपैठ के लिए प्रयास करते हुए अतिथि चीनी सैनिकों को उनके सम्मान में प्यार की मिठास के साथ वितरित कर दिया है। जबकि बदले में जो बियर इन्हें मिली है, उसे पीने से हमारे सैनिकों पर असर नहीं हुआ है पर रक्षा मंत्री इससे अछूते नहीं रहे हैं। इसीलिए वह अपने दिए गए बयानों को अलट पलट कर फिर से उलट पुलट करके पलटीमारने में जुट गए हैं।
सरकार के मंत्रियों ने जनभावनाओं के उद्वेगों का सम्मान करते हुए सीमा पर युद्ध छेड़ दिया है। बल्कि जिस नापाक पड़ोसी ने हमारे सैनिकों की हत्या करके हमें छेड़ा था। उसकी हिम्मत में इजाफा सीमा पर मशीनगनों और आधुनिक हथियारों से मीठी टॉफियां और गोलियां बरसाने के रूप में सामने आया है। इस पर कार्रवाई करते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि टॉफियों और मीठी गोलियों का बदला इन्हीं से या चॉकेलेटों से किया जाएगा। इसे देखने के लालची सीमा पर जाकर जोखिम मत लें और दूर से ही तमाशा देख पाएं तो देखें नहीं तो सिर्फ सुनकर अथवा चैनल पर देखकर अपने मन को मजा लेने दें।
सरकार नमो (नारा मोहन) और रामू (रजा मुराद) के एक टोपी पर असीम प्यार प्रदर्शन के कारण 'टोपी' के उत्पादन, खरीद फरोख्त, आयात निर्यात और खुदरा बिक्री पर प्रतिबंध लगा रही है। न ही अन्ना हजारे और न ही 'आप', 'बाप' जैसे दलों के टोपीधारक उनके इस प्रेम प्रदर्शन से खफा हुए हैं।
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद दिल्ली को दहलाने की फिराक में है और अब उसने सतर्कता बरतते हुए फिराक पहननी शुरू कर दी है। इसके बाद ही नापाक पड़ोसी ने फिर से कहना शुरू कर दिया है कि दाऊद उनके यहां पर नहीं है। जबकि इसके भीतर की सच्चाई यह है कि नेताओं ने पहले ही दिल्ली को अपनी बयानखीर से लुभा रखा है। इसलिए वे बिल्कुल निश्चिंत है कि दाऊद की दिल्ली को दहलाने की धमकी से कुछ होने वाला नहीं है।
चैन्नै एक्सप्रेस एक हिंदी फीचर फिल्म है, न कि एक्सप्रेस समूह का कोई हिंदी अथवा अंग्रेजी अखबार। और न किसी ने आज तक रेलवे स्टेशन, पुस्तकों की दुकान, हॉकरों से चैन्नै एक्सप्रेस नामक अखबार की मांग की है। न ही शाहरुख खान ने यह कहा है कि फिल्म न चलने पर वे इस नाम से अखबार का प्रकाशन शुरू करेंगे। आजकल उनका अन्य किसी भी प्रकार की आमदनी से मोह भंग हो चुका है और वे मकान के किरायों की आमदनी को स्थाई जरिया बनाने में जुट गए हैं। रेल बनाकर चलाकर कमाई करना उनके बस का नहीं है।
अभिनेता रजा मुराद के 'टोपी' वाले ब्यान पर कार्रवाई करते हुए उर्दू शैली में पढ़ते हुए 'पीटो' अभियान शुरू हो चुका है। जिसे 'टोपी' पहने देखा, उसके पीछे सभी 'पीटो' 'पीटो' करके डंडा उठाए दौड़ रहे हैं और जो बिना टोपी पहने दिखाई दे रहा है उसका सिर फोड़ रहे हैं। इस आक्रमण से बचने के लिए टोपी पहनकों ने टोपी के उपर हेलमेट पहन लिए हैं, अब देश भर में 'टोपी' नहीं, हेलमेट पहने लोग नजर आ रहे हैं।
ईद के दिन सभी गले मिले और मिलना भी चाहिए। पर यह खबर एकदम अफवाह है कि बतौर ईदी युवराज ने सभी को मोबाइल फोन अथवा लैपटाप बांटे हैं। सच तो यह है कि उनका वोट खरीदने में यकीन नहीं है। वोट तो उन्हें यूं ही उनके परिवार की साख बिना गिरवी रखे खूब सारे मिल जाएंगे। बल्कि वह चिंतित इसलिए हैं कि इतने अधिक वोट मिलने पर उन्हें सहेज कर रखने की समस्या से उन्हें जूझना पड़ेगा।
देश का रक्षा मंत्री अपने बयान की रक्षा न कर पाएगा, अपने बयान से पलट जाएगा और भविष्य में पड़ोसी देश पाकिस्तान में रिक्शा चलाता नजर आएगा। पिछले सप्ताह पाकिस्तान के हथियारों से भारतीय सीमा में घुसकर रात के समय मारे गए पांचों सैनिकों के सम्मान में एक-एक दिन का राजकीय शोक दिवस घोषित किया जाने वाली सूचना अफवाह पाई गई है। जिसकी अवधि 11 से 15 अगस्त 2013 तक कही गई थी। वजह ऐसे राजकीय शोक दिवस की घोषणा और उन पर अमल करने से नेताओं का अपमान होता है।
अब सोशल मीडिया पर अफवाहों का उड़ना इसलिए बंद हो चुका है क्योंकि उसके पर कतर दिए गए हैं। बस यह पुष्टि बाकी है कि वह तेरा तर्रार चूहा कौन है, जिसने अफवाह के पर कुतरने की कोशिश की है। वैसे शक के घेरे में एक हिन्दी व्यंग्यकार जो कि हिंदी ब्लॉगर भी है, पर विश्वास किया जा रहा है।
मजेदार :)
जवाब देंहटाएंसमसामयिक और मजेदार पोस्ट
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