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| जनम दिन मुबारक हो समीर भाई | 
               सुनो तुमाए सदर वालो कॉफ़ी-हाउस भौतई बदल गओ है   आप जानतइ हो एक बात नई जा है की अब मानस भवन बिल्लकुल बदल गओ है । पर इतै वारे बिलकुल नईं बदले मालवी-चौक से हल्के रगड़ा किमाम १२० वारे पान लगवाए एक उतइ मसक लओ बाक़ी जेब में रक्खे । रफ़ी स्मॄति वारो प्रोग्राम देखत सुनत गए .. पान  खात खात पिच्च पिच्च ठठरी बंधों ने मानस-भवन आडीटोरियम की दीवारन की तो ....... दई... बस दो प्रोग्राम हो पाए हैं होली तक देखने पीक से इत्तो माडर्न आर्ट बना हैं ………  के कि खुद महान चित्रकारन की आत्माएं  इतै कार्यशाला करत नज़र आहैं... बड्डॆ सच्ची बात है..
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जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ समीर लाल जी को,,,!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (31-07-2013) के कीचड़ तो तैयार, मगर क्या कमल खिलेंगे-- चर्चा मंच 1323 में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जन्मदिन मुबारक समीर लाल जी ।
जवाब देंहटाएंवाह गजब संस्मरण-
जवाब देंहटाएंसदर सदारत जबर जबलपुर, लम्ब्रेटा की लम्बी चाल |
कुदरत का खुबसूरत टुकड़ा, देखा समझा बाल-बवाल |
खुश्बू वाला पान चबाये, होंठों को कर लेते लाल |
दीवारों पर नई कलाकृति, अब भी क्या देते हैं डाल --
शुभकामनायें आदरणीय-
समीर भाई को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की विलंबित शुभकामनाये
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