क्रिकेट की कालिख को अपने पसीने और सपनों से धोता युवा भारत
दिल्ली की झुलसा देने वाली गर्मी में दोपहर के तीन बजे इंदिरा गाँधी स्टेडियम के
बास्केटबाल कोर्ट में पसीने से लथपथ सातवीं कक्षा की आद्या से लेकर ग्यारहवीं के
अखिलेश तक हर एक बच्चे की आँखों में एक ही सपना नजर आता है-पहले स्कूल और फिर देश
के लिए खेलना. पैसों,प्रसिद्धि,प्रतिष्ठा और प्रभाव से भरपूर क्रिकेट के
सर्वव्यापी आतंक के बीच इन बच्चों का पैंतालीस डिग्री तापमान में घर से बाहर
निकलकर दूसरे खेलों में रूचि दिखाना देश के लिए भी उम्मीद की किरण जगाता है. बास्केटबाल
ही क्यों बच्चों के ऐसे झुण्ड सुबह सात बजे से लेकर शाम छह बजे तक
बैडमिंटन,टेनिस,फ़ुटबाल से लेकर अन्य तमाम खेलों में उत्साह के साथ तल्लीन नजर आते
हैं. न उन्हें तपते कोर्ट की चिंता है और न ही आने-जाने में होने
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