बलात्कार का कानून इसलिये बनाया गया है कि किसी लड़की के
साथ बलात्कार हुआ है तो उसे इंसाफ मिले, लेकिन इसका मतलब यह नही कि इस कानून की आड़ में लड़की या पुलिस किसी
बेगुनाह को फंसाये या उसके परिवार से ब्लैकमेलिंग
करे। इसलिये कानून के रखवालों को चाहिये कि वे इसके दुरूपयोग करने वाले को सख्त
से सख्त सजा का प्रावधान करें वर्ना कुछ दुष्ट महिलाओं व पुलिस के लिये यह पैसा उगाहने का एकमात्र साधन बनकर रह
जायेगा।
ज्ञात हो कि श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता, निवासी खलीलाबाद,
जिला संत कबीर नगर, उ.प्र. के पुत्र दीपक गुप्ता से धर्मेश गुप्ता (काल्पनिक नाम), निवासी एफ-67,
गली नं0 2, सुभाष विहार, उत्तरी घोण्डा, दिल्ली-53 की पुत्री अनन्या(काल्पनिक नाम) के विवाह की बात चली, किन्तु समगोत्र होने से वर
पक्ष ने रिश्ता करने से इंकार कर दिया।
धर्मनाथ गुप्ता और उसकी पुत्री अनन्या ने रिश्ता न होने पर काफी तिलमिला गये और दीपक
गुप्ता को फर्जी मामले में जेल भेजने की धमकी दी। आगे अनन्या और उसके पिता ने यह
धमकी दी थी कि आपने शादी तोड़ी है इसके एवज में हमें 15 लाख रूपये दीजिये, वर्ना हम आप सबको फंसवा देंगे हमारी पुलिस
में काफी पकड़ है।
अनन्या गुप्ता ने 1 जनवरी 2013 को दिल्ली के थाना मण्डावली में प्राथमिकी संख्या
3/2013 दर्ज कराई कि 24 जून 2012 को दीपक गुप्ता उनके घर आया और 25 जून 2012 को
अक्षरधाम मन्दिर घुमाने के बहाने अपने
जीजा अजय गुप्ता के साथ एक कमरे पर ले
गया जहां दोनों ने पेप्सी में नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश किया इसके बाद दोनों ने
बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया तथा वीडियो भी बनाया।
इसके बाद आनन-फानन में मण्डावली थाने की भ्रष्ट
पुलिस ने बलात्कार के आरोप में दीपक गुप्ता और अजय गुप्ता को बिना किसी सबूतों
की जांच-पड़ताल किये बिना गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया, दोनों आरोपी अभी तिहाड़ जेल में हैं। वहीं पुलिस
किसी भी सबूत को देखना नही चाहती है यहां तक कि डीसीपी तक भी सबूत को बिना
जांचे-परखे उसे फर्जी बता रहे हैं। इसका क्या मतलब हो सकता है? इसका तो यही मतलब निकलता है कि लड़की के पक्ष ने एक मोटी रकम देकर इन
पुलिस वालों की तोंदे फुला दी तभी तो वे आरोपी पक्ष के कोई बेगुनाही के सबूत को
देखना तक भी मुनासिब नही समझ रहे हैं।
सही मायने में देखा जाय तो दीपक गुप्ता 24 जून, 2012 को संत कबीर नगर, उ0प्र0 में एक रिश्तेदार की शादी में था जिसका प्रमाण शादी की वीडियो, तस्वीरें और शादी का प्रमाण पत्र है। तो लड़की का झूठ का पर्दाफाश यहीं
हो जाता है कि वो पूरी तरह से गलत आरोप लगा रही है। यदि लड़की के साथ बलात्कार
हुआ तो छह महीने बाद क्यों पुलिस को जानकारी दी, अगर उसे
अपने बनाये एमएमएस का डर था तो वह डर छह महीने बाद कैसे समाप्त हो गया। वहीं
बलात्कार का दूसरा आरोपी अजय गुप्ता उस दिन फरीदाबाद,
हरियाणा स्थित अपने घर में अपनी पत्नी के पास था। इसलिये प्रथम दृष्टया बलात्कार
का यह आरोप पूरी तरह से झूठा नजर आता है।
सच्चाई कुछ और ही है
अनन्या के साथ बलात्कार 25/06/2012 को हुआ। उसने आरोप
लगाया कि उसके साथ बलात्कार दीपक और उसके जीजा दोनों ने मिलकर किया। उसने
प्राथमिकी 01/01/2013 को कराया। आखिर प्राथमिकी दर्ज कराने में इतनी देरी क्यों? और
तो और छह महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद वो किसलिये चुप बैठी थी। लड़के पक्ष
वालों का कहना है शादी टूटने पर 15 लाख रूपये की मांग परोक्ष रूप से किया गया
जिसके न देने पर लड़की ने फंसाया। दूसरी मांग लड़की वालों ने यह की कि हमें दिल्ली
में 50 गज जमीन दे दी जाये और अब लड़की पक्ष वाले मामला बिगड़ता देख कह रहे हैं कि
लड़का शादी करले हम पूरा मामला वापस ले लेंगे।
इधर दीपक गुप्ता के बेगुनाही का दूसरा सबूत यह
है कि उसने आरोप वाले दिन खैलाबाद, संत कबीर नगर के एचडीएफसी के एटीएम से दिन में सुबह 9:06 के करीब 1500 रूपये निकाले थे, उस एटीएम की वीडियो फुटेज उसकी
बेगुनाही का पुख्ता सबूत है। और तो और पुलिस ने बिना किसी सबूतों-सच्चाई की जांच-परख
के दीपक और अजय को जेल में डाल दिया, इससे यही प्रतीत होता
है कि पुलिस अनन्या और उसके पूरे परिवार से मिली हुयी है।
इस मुद्दे पर अखिल भारत हिन्दू महासभा के दिल्ली
प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र द्विवेदी की प्रशंशा करनी चाहिये कि उन्होंने इन दो
बेगुनाहों को बचाने के लिये 4 फरवरी, 2013 को पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया
व संबोधित ज्ञापन भी पुलिस आयुक्त को सौंपा। इसके बाद 18 फरवरी, 2013 को पुन: जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया,
अपनी गिरफ्तारी दी, तत्पश्चात प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी
सौंपा।
पुलिस का रवैया बेहद नकारात्मक
इस घटना को लेकर पुलिस का रवैया बेहद नकारात्मक
व शर्मनाक है। जब बलात्कार के आरोपी के बेगुनाही के सबूत दिये जा रहे हैं तो
पुलिस उन प्रमाणों को क्यों नजरंदाज कर रही है? पुलिस लड़की की ही बात क्यों सुन रही है? पुलिस
एटीएम से निकाले गये पैसे का दिन, समय व वीडियो फुटेज क्यों
नजरंदाज कर रही है जिसके गर्भ में ठोस सबूत छिपे हैं?
आखिर पुलिस एटीएम के वीडियो फुटेज क्यों नही देखना चाह रही
है? एटीएम के वीडियो फुटेज से सब दूध का दूध
पानी का पानी हो जायेगा। इससे तो एक बात पूरी तरह से साबित हो जाता है कि पुलिस
पूरी तरह से लड़की पक्ष से मिली हुयी है और मोटा रिश्वत डकारी है जिसके एवज में
बलात्कार के आरोपी पक्ष के मजबूत व पुख्ता सबूतों को पूरी तरह नजरंदाज कर दे रही
है। पुलिस बिना किसी प्रमाण के ही दो बेगुनाहों को जेल में इसलिये डाल रखा है क्योंकि
लड़की ने झूठा आरोप लगाया है, जिसमें पुलिस की पूरी मिलीभगत
है। यह पुलिस व दुष्ट लड़की का एक ऐसा षडयंत्र है जिसमें बलात्कार के कानून का
डर दिखाकर भारी धन-दोहन किया जा सके।
दुर्भाग्यवश कोई लड़की यदि किसी पर झूठा आरोप मढ़े तो
पुलिस बिना किसी तथ्यों को देखे बिना उसे तिहाड़ भेज देगी। जबकि होना यह चाहिये
था कि पुलिस आयुक्त व पूर्वी दिल्ली के डीसीपी के समक्ष यह विषय आया तो इसकी
निष्पक्ष तहकीकात कराना चाहिये था, मगर पुलिस किसी तथ्य को बिना जांच कराये ही फर्जी बताने पर आमादा है।
छोटे अधिकारी तो छोटे है बड़े अधिकारी भी अपने अविवेक का ही परिचय दे रहे हैं।
कानून का दुरूपयोग करने वालों को सख्त सजा होनी चाहिये
बलात्कार का कानून इसलिये बनाया गया है ताकि
किसी महिला के साथ अन्याय न हो, उसे न्याय
मिले लेकिन यदि इस कानून का दुरूपयोग कोई दुष्ट महिला करे तो उसे कठोर से कठोर
सजा मिलनी चाहिये ताकि भविष्य में इस तरह के कानून का कोई दुरूपयोग करने का दुस्साहस
न कर सके।
बलात्कार का झूठा केस बनाने वाले ऐसे पुलिस
अधिकारियों को भी सख्त सजा मिलनी चाहिये जिससे वे भविष्य में इस तरह की गलतियों
का पुनरावृत्ति न कर सके आने वाले पुलिस अधिकारी उससे सबक लेते हुये उसका दुरूपयोग
करने से परहेज करें।
जरा सोचें कि कल यदि दीपक गुप्ता व अजय गुप्ता
यदि बेगुनाह छूट जाते हैं तो क्या उनकी पूरे समाज में जो सम्मान की क्षति हुयी
है, क्या उसे भरा जा सकता है? आरोपी युवक व उनका पूरा परिवार जिस मानसिक पीड़ा के दौर से गुजर रहा है
क्या उसकी भरपायी हो पायेगी? कानून के रखवालों, कानून के बनाने वालों को एक बार सोचना होगा कि इस तरह के कानून का कैसे
दुरूपयोग रूके ताकि कोई बेगुनाह फिर बलात्कार के झूठे मामले में पुलिस या दुष्ट
महिलाओं के शिकार होने से बच सके। इसके लिये जनता को सड़कों पर आकर आंदोलन करना
होगा वर्ना खाकी वर्दी वाले गुंडे-दरिंदे इस तरह की दुष्ट महिलाओं के साथ मिलकर बेगुनाह
जनता को ऐसे ही फंसाते रहेंगे और हम और आप सिवाय रोने-सिसकने के कुछ नही कर
पायेंगे।
इस
यू ट्यूब लिंक में दीपक गुप्ता
24/06/2012 के विवाह समारोह में शामिल हुआ था उसने रेप कैसे किया?
लेखक पत्रकार/स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। कई वर्षों से क्षेत्रीय
पत्रकारिता करने के बाद चार वर्षों से डॉट
काम मीडिया में सक्रिय, वर्तमान में क्रांति4पीपुल डॉट काम(www.kranti4people.com) के संपादक।
कानूनों का दुरूपयोग करने में हम सिद्धहस्त हैं-
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