महाबहस,महाकवरेज, महास्नान,महारैली,महाशतक,महाजीत
और महाबंद जैसे शब्द इन दिनों हमारे न्यूज़ टीवी चैनलों पर खूब गूंज रहे हैं.लगता है हमारे मीडिया को “महा” शब्द से कुछ ज्यादा ही प्रेम हो
गया है. यही कारण है कि आजकल तमाम न्यूज़ चैनल इस शब्द का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर
हैं लेकिन कई बार यह प्रयोग इतने अटपटे होते हैं कि एक तो उनका कोई अर्थ नहीं होता
उल्टा कोई पूछ बैठे तो उसे समझाना मुश्किल हो जाता है कि यहाँ ‘महा’ लगाने की
जरुरत क्या आन पड़ी थी. मसलन न्यूज़ चैनलों पर रोजमर्रा होने वाली बहस को महाबहस
कहने का क्या तुक है? क्या बहस में दर्जनों विशेषज्ञों का पैनल है? या फिर चैनल
पहली बार ऐसा कुछ करने जा रहा है जो ‘महा’ की श्रेणी में आता है. रोज के वही
चिर-परिचित चार चेहरों को लेकर किसी अर्थहीन और चीख पुकार भारी बहस आखिर महाबहस
कैसे हो सकती है?
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कहें यात्रा को यहाँ, महायात्रा लोग |
जवाब देंहटाएंमहाचंड चैनल महा, महागुनी सहयोग |
महागुनी सहयोग, महादेवी महदाशा |
महादेव का भोग, लगा के चाट बताशा |
मरें जहाँ पर लोग, जमा हों माहापात्रा |
मकु रहस्य रोमांच, मीडिया महायात्रा ||
महायात्रा=मृत्यु
महदाशा=ऊंची आकांक्षा
महादेव का भोग=भांग
माहापात्रा=कट्टहा ब्राह्मण जो मृतक कर्म का दान लेता है -
महा शानदार-महा उत्तम
हटाएंआओ हम महाब्लॉगर की एक नई श्रेणी हिंदी ब्लॉगिंग में आरंभ करें।
जवाब देंहटाएंआपका महासुझाव वाकई में महाविचार के लायक है..
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