मुन्नाभाई होली पर गुब्बारे भर कर तैयार बैठे थे कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले से उन्हें इतनी टेंशन दे दी कि वे उनमें रंग भरना भूल गए। जान लो कि मन के लड्डू गुब्बारों की तरह फूट गए। मुन्ना और उनके चहेते बरसाती तलाशने में बिजी हो गए हैं। आपने अपने जीवन में आज तक किसी को बरसाती पहनकर होली खेलते नहीं देखा होगा। फिल्में पहले समाज और साहित्य का दर्पण हुआ करती थीं और अब समाज और साहित्य में घट और रच रही सच्चाइयों आइना बन गई हैं।
मुन्नाभाई को साढ़े तीन साल के लिए जेल में ठूंसने से बचाने के लिए स्वांग जोरों पर हैं। इस कड़वी गोली का असर सिर्फ होली तक ही रहेगा या उससे कुछ दिन आगे मूर्ख दिवस तक खिंच जाएगा, वे जान लें कि इस मुद्दे को गर्मागर्म रखने के लिए एक महीने की मोहलत दी गई है। इस महीने भर की अवधि में वे जितने तीर चाहें, चला सकते हैं, चाहे जितने गुब्बारे मार सकते हैं, चाहे उनमें बेरंग पानी ही भरा हो पर वे फुलझड़ी नहीं जला सकते। खींचने वाले मुन्नाभाई की करोड़ों की फिल्मों का हवाला देकर मुन्नाभाई को जेल से बाहर खींचने का मन बनाए हैं और मामले को रफा दफा करवाना चाहते हैं। मुन्नाभाई पहले 18 महीने जेल का अनुभव ले चुके हैं पर लगता है कि कानून उन्हें अभी 42 महीने और जेल की रोटियों का वास्तविक आनंद दिलवाने को चौकस है। इस प्रकार कुल मिलाकर 60 महीने होते हैं। इस गणित को फेल करने की कोशिशें जारी हैं।
यूं तो मुन्ना शब्द की मासूमियत से सारा जमाना इत्तेफाक रखता है और बहुत प्यार से नए नवेले को इस नाम से पुकारता है। अब आधुनिक भाईयों ने मुन्ना की मासूमियत का बहुत ही बेरहमी से कत्ल कर डाला है। कत्ल नाम का भी हुआ है, अर्थ का अनर्थ किया गया है। मुन्ना से मुन्नाभाई बनने तक का सफर, जीवन को सिफर करने के लिए काफी है। अब चाहे कितनी भी कोशिशें की जायें कि मुन्ना की मासूमियत को फिर से जिंदा कर लिया जाये पर ऐसा हो नहीं पा रहा है। कहीं परीक्षाओं में नकल चल रही हो तो नकलचियों को मुन्नाभाई संबोधन से सम्मानित करने में देरी नहीं की जाती है। अब प्रत्येक बुरे काम का दोषी मुन्नाभाई है।
होली का त्यौहार यूं तो उमंगों के रंगों के लिए फेमस है। पर इसमें बुराइयों का सत्यानाश भी समाहित है। गले लिपटाने का प्यार भाव है और गले पड़ने वाली जबरिया मोहब्बत भी है। म से मुन्नाभाई, म से माफी, म से मत करो मक्कारी, माफी देने के लिए बना लो एक माफी मंत्रालय, फिर करना एक माफी कोर्ट का गठन और मंत्रालय के लिए मंत्री, उम्मीदवार बहुतेरे हैं। माफी देने की शुभ शुरूआत होने ही वाली है।
मुन्नाभाई जेल प्रदर्शन के लिए तैयार होकर चले हैं। जितने गुब्बारे मारने हैं मार लें। जेल का बादशाह मुन्नाभाई। जेल कोई नहीं जाना चाहता। चाहे जुर्म किया हो बशर्ते कि वहां पर नौकरी मिल रही हो अथवा वह फिल्म का सीन लो। फिल्मी परदे के आयरनमैन को सजा काटने के लिए पत्थर दिल और गांधीगिरी में निपुणता को दिखलाना होगा।
प्रभावशाली ,
जवाब देंहटाएंहोली की बधाई !!!
जारी रहें।
शुभकामना !!!
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