मुन्नाभाई लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मुन्नाभाई लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
जम्मू-कश्मीर में 'श्रीनगर' है तो भारत में 'श्रीमतीनगर' भी होगा, उसी की तलाश है मुन्नाभाई को (काव्य)
##Srimatinagar
A E - 251 (ढाई सौ एक)
जा रहा हूं श्रीनगर
स्वर्गवासी होने...
कुछ दिनों के लिए
पर जिज्ञासा है
बनी हुई मेरी
श्रीमतीनगर कहां है
बतलाएंगे कौन मित्र
जैसे श्रीनगर है
जम्मू और कश्मीर में।
A E - 251 (ढाई सौ एक)
जा रहा हूं श्रीनगर
स्वर्गवासी होने...
कुछ दिनों के लिए
पर जिज्ञासा है
बनी हुई मेरी
श्रीमतीनगर कहां है
बतलाएंगे कौन मित्र
जैसे श्रीनगर है
जम्मू और कश्मीर में।
जब मुन्नाभाई मर कर यमलोक पहुंचा
यमराज : आ गया मुन्ना, स्वागत है।
मुन्नाभाई : आ गया तो ऐसे कह रहा है जैसे मैं अपनी इच्छा से आया हूं तेरे राजलोक में।
यमराज : मुझसे तू तड़ाक मुन्ना।
मुन्नाभाई : मारने से अधिक तू कुछ कर नहीं कर सकता इसलिए तेरे से किस बात का डर, डर से ही किसी का आदर किया जाता है या किया जाता है प्रेम में। तेरे से मैं ही क्या कोई भी प्रेम करने वाला नहीं है इसलिए मैं डरूं क्यों, मारने से अधिक तू कुछ कर ही नहीं सकता। और प्रेम करने के लिए धरती पर प्रेम जनमेजय जी मौजूद हैं, फिर तेरे से कोई क्यों प्रेम करने की सोचेगा भी।
यमराज : इच्छा या बेमर्जी सफर में नहीं चला करती। होता वही है जो नियति है।
मुन्नाभाई : नियति मतलब जान बूझकर रेल, बस के नीचे आ मर कर तेरे पास आ जाओ और अपनी लापरवाही को नियति का नाम दे दो, यह भी कोई बात हुई।
यमराज : क्रोधित मत हो मुन्ना। मेरे पास भी तुझे अपनी मर्जी का काम ही करना है।
मुन्नाभाई : मेरी मर्जी का मतलब यहां पर भी पेट के गुलाम होकर तेरे इशारों पर ही आइटम डांस करना होगा। जब ऐसा ही करना है तो यह तो विशुद्ध बाबूगिरी ही हुई जो मैं धरती पर सरकारी कार्यालय में कर रहा था और तू मुझे पांच बरस पहले उठा लाया है। कम से कम सांतवें वेतन आयोग का फायदा तो लेने देता।
यमराज : धन इतना फायदेमंद नहीं है जितनी खुशियां। यहां पर तू बिना किसी बीमारी के डर के कुछ भी खा सकता हे क्योंकि तू एक बार मर चुका है, अब बार-बार तो मरने से रहा।
मुन्नाभाई : यहां पर खाने के लिए मां के हाथ के बने स्वादिष्ट व्यंजन कहां मिलेंगे। पत्नी जो इतने प्यार से कड़वे करेले के रस का पान कराती थी, वह कहां मिलेगा। अन्य मित्र और परिवारीगण जो मुझे आदर देते थे, वह ढूंढने तू मुझे पृथ्वी पर जाने देगा।
यमराज : परिवारीगण तेरा नहीं, तेरे से कमाई मिलने के कारण तेरा सम्मान करते थे। मित्रगण तेरे जब तक ही थे जब तक तू उनकी तारीफ करता था, उन्हें तुझसे फायदा होता रहा। तेरी तानाशाही के विरुद्ध तेरे ही घर में सब तेरे खिलाफ थे। वह तो तू बीमार होते हुए भी उनके लिए कमाऊ था, इसलिए तुझे झेलने को मजबूर थे।
मुन्नाभाई : पर मेरी नवजात पहली पोती रितिषा के बारे में तो तू ऐसा नहीं कह सकता।
यमराज : पोती क्या किसी भी बच्चे के बारे में मैं ऐसा न कह सकता हूं और न कह रहा हूं क्योंकि बच्चे मन के सच्चे होते हैं। वे आंख के तारे होते हैं, मन के सितारे होते हैं।
मुन्नाभाई : पर मेरी कमी उसे सबसे अधिक खलेगी।
यमराज : गेहूं के साथ घुन भी पिसता है पर तुझे यहां पर बाबूगिरी नहीं करनी है। हिन्दी ब्लॉग और एग्रीगेटर बनाने हैं। सबके फेसबुक एकाउंट खुलवाने हैं। ट्विटर, पिन्टरेट सरीखे सोशल मीडिया मंचों पर हमारे कारिन्दो को इतनी जानकारी देनी है कि हम उन सभी मंचों पर उसका उचित उपयोग कर सकें।
मुन्नाभाई : ब्लॉग और अन्य सोशल माध्यमों का तू और तेरे साथी धरती की पब्लिक को मारने के सिवाय क्या उपयोग करेंगे ।
यमराज : तू सच समझ रहा है मुन्ना और तेरी इसी तुरत बुद्धि के हम कायल हैं और तुझे यहां पर लाया गया है।
मुन्नाभाई : लाया गया है या मेरा अपहरण करवाया है।
यमराज : हम भी क्या करते, हमारे विभाग पर भी उपर से प्रेशर पड़ रहा था कि ब्लॉग, फेसबुक सरीखे सोशल मीडिया पर मानव की गतिविधियों के अनुसार उन्हें यमलोक में बुलाया जाए। उनके जीवन के कर्मों और कुकर्मों का हिसाब उनके इंटरनेट पर मौजूद खातों के आधार पर तैयार करके, उन्हें जिंदा रखने और मारने के फैसले लेकर क्रियान्वित किए जाएं।
मुन्नाभाई : मतलब मेरी काबलियत ही, मेरी जिंदगी की दुश्मन हो गई।
यमराज : दुश्मन क्यों यहां पर तुझे कुछ भी छिपकर नहीं खाना पड़ेगा। मिठाई खाने के लिए किसी की नजरों से बचकर या रातों को जागना नहीं होगा और तू खाने के मामले में अपनी मर्जी का मालिक होगा। यही तो तू चाहता था, हमें फेसबुक और ट्विटर एकाउंट पर तेरे स्टेटस से यही जानकारी मिली है।
मुन्नाभाई : वह तो मेरी जिंदादिली है, वहां फेसबुक पर सब फेक चलता है। चलता ही नहीं, धरती से तेज स्पीड से भी दौड़ता है पर इनका चालक इन पर काबू नहीं रख पाता है। उसके संचालन विधि का संयमित ज्ञान देने के लिए बतौर विशेषज्ञ मैंने तुम्हें नियुक्त करके तेरी इच्छा का सम्मान ही किया है।
मुन्नाभाई : (स्वगत कथन : मुन्ना सोच रहा था कि कुछ बरस और जी लेता पर, हिन्दी ब्लॉग, फेसबुक और ट्विटर सरीखे माध्यमों पर लगाए गए स्टेटस ही उसे यहां पर लाए हैं। पर अब कुछ नहीं हो सकता है। वह अपने स्टेटस से इंकार भी तो नहीं कर सकता था। उसे क्या मालूम था जिस पर सक्रिय होकर उसे गुमान हो आया था, वही उसकी जान ले लेगा।) पर जब तक सब यमलोक में इन कलाओं में पारंगत होंगे,तब तक तो पृथ्वी की आबादी बेहिसाब बढ़ जाएगी।
यमराज : पर क्या उन्हें मारने के लिए इन माध्यमों का सामूहिक प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
मुन्नाभाई : किया तो सब कुछ जा सकता है। फिर आजकल तो मोबाइल पर सब इंटरनेट के जरिए इनका दुरुपयोग करते हैं।
यमराज : उसका फायदा लेना हमारे यमलोक वासियों को सिखलाओ।
मुन्नाभाई : यह बहुत आसान है। पृथ्वी पर सब मोबाइल फोन के इतने दीवाने हैं कि सब सड़कों पर,सीढि़यों पर, कारों में, वाहनों में, घरों में, श्मशान घरों में, अस्पतालों वगैरह मतलब सब जगह अपनी गर्दनें शुतुरमुर्ग की तरह घुसाए चल और दौड़ रहे हैं। हम उन्हें एक कमांड देकर सबको इधर उधर टकरा देंगे,उनके वाहन अनियंत्रित कर देंगे, सब बेकाबू होंगे और कोई रेल की पटरी के नीचे, कोई बस के नीचे सड़क पर कुचलकर, सीढि़यों से डगमगाते हुए गिरकर मर जाएगा और महीने भर का सारा बैकलॉग एक क्षण में कंट्रोल हो जाएगा। सब तहस-नहस हो जाएगा।
यमराज : फिर हमें सृष्टि के बिग बॉस से सम्मान और पुरस्कार मिलेंगे और जो हम भाग भाग कर,भूखे भैंसे पर बैठकर ढूंढ ढूंढ कर सबको मारने में अपनी ऐसी तैसी करवा रहे हैं। अब तनिक आराम से एक जगह बैठकर ही लैपटाप के जरिए उनके मोबाइलों को कमांड देकर निपटाकर कीर्तिमान स्थापित कर सकेंगे।
मुन्नाभाई : और जिनके पास मोबाइल नहीं है।
यमराज : उनके लिए हम उन नकारा यमदूतों का दौड़ाएंगे तो प्रगतिशील होते इस गैजेटों के युग में अब भी इनसे दूर भागते हैं और रात के अंधेरे में मोटर साइकिलों पर स्टंटबाजियां करते हैं। उन्हें भी अब तक यहां पर ला चुके होते, वह तो एक पुलिस वाले की गोली के कारण हमारा प्लान धरा रह गया और वे स्टंटबाज धरा पर ही धरे रह गए।
मुन्नाभाई : मतलब तकनीक के जानने से से तकलीफ भी और न जानने से विराट दिक्कतें भीं।
यमराज : तकनीक विज्ञान का ही बदला हुआ दूसरा नाम है। जो चमत्कार भी है और अभिशाप भी।
(तभी एकाएक दिन में मेरी नींद टूटी और मैं हड़बड़ाकर उठ बैठा। मैं तो घर में सो रहा था और चार बज गए थे। मेरे मोबाइल पर बहन किरण आर्य के फोन की घंटी घनघनाकर कह रही थी मुन्नाभाई आज पौने पांच बजे तुम्हें व्यंग्य वाचन के लिए सन्निधि के कार्यक्रम में पहुंचना है और तुम सोने में स्वर्ण का लुत्फ उठा रहे हो। मैं पांच मिनिट में तुरत फुरत तैयार हुआ बसें बदलते हुए और अंत में ऑटो में बैठकर चल पड़ा अपने गंतव्य की ओर।
मुन्नाभाई के लिए माफी मंत्रालय : दैनिक जनसंदेश टाइम्स 26 मार्च 2013 स्तंभ उलटबांसी में प्रकाशित
मुन्नाभाई होली पर गुब्बारे भर कर तैयार बैठे थे कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले से उन्हें इतनी टेंशन दे दी कि वे उनमें रंग भरना भूल गए। जान लो कि मन के लड्डू गुब्बारों की तरह फूट गए। मुन्ना और उनके चहेते बरसाती तलाशने में बिजी हो गए हैं। आपने अपने जीवन में आज तक किसी को बरसाती पहनकर होली खेलते नहीं देखा होगा। फिल्में पहले समाज और साहित्य का दर्पण हुआ करती थीं और अब समाज और साहित्य में घट और रच रही सच्चाइयों आइना बन गई हैं।
मुन्नाभाई को साढ़े तीन साल के लिए जेल में ठूंसने से बचाने के लिए स्वांग जोरों पर हैं। इस कड़वी गोली का असर सिर्फ होली तक ही रहेगा या उससे कुछ दिन आगे मूर्ख दिवस तक खिंच जाएगा, वे जान लें कि इस मुद्दे को गर्मागर्म रखने के लिए एक महीने की मोहलत दी गई है। इस महीने भर की अवधि में वे जितने तीर चाहें, चला सकते हैं, चाहे जितने गुब्बारे मार सकते हैं, चाहे उनमें बेरंग पानी ही भरा हो पर वे फुलझड़ी नहीं जला सकते। खींचने वाले मुन्नाभाई की करोड़ों की फिल्मों का हवाला देकर मुन्नाभाई को जेल से बाहर खींचने का मन बनाए हैं और मामले को रफा दफा करवाना चाहते हैं। मुन्नाभाई पहले 18 महीने जेल का अनुभव ले चुके हैं पर लगता है कि कानून उन्हें अभी 42 महीने और जेल की रोटियों का वास्तविक आनंद दिलवाने को चौकस है। इस प्रकार कुल मिलाकर 60 महीने होते हैं। इस गणित को फेल करने की कोशिशें जारी हैं।
यूं तो मुन्ना शब्द की मासूमियत से सारा जमाना इत्तेफाक रखता है और बहुत प्यार से नए नवेले को इस नाम से पुकारता है। अब आधुनिक भाईयों ने मुन्ना की मासूमियत का बहुत ही बेरहमी से कत्ल कर डाला है। कत्ल नाम का भी हुआ है, अर्थ का अनर्थ किया गया है। मुन्ना से मुन्नाभाई बनने तक का सफर, जीवन को सिफर करने के लिए काफी है। अब चाहे कितनी भी कोशिशें की जायें कि मुन्ना की मासूमियत को फिर से जिंदा कर लिया जाये पर ऐसा हो नहीं पा रहा है। कहीं परीक्षाओं में नकल चल रही हो तो नकलचियों को मुन्नाभाई संबोधन से सम्मानित करने में देरी नहीं की जाती है। अब प्रत्येक बुरे काम का दोषी मुन्नाभाई है।
होली का त्यौहार यूं तो उमंगों के रंगों के लिए फेमस है। पर इसमें बुराइयों का सत्यानाश भी समाहित है। गले लिपटाने का प्यार भाव है और गले पड़ने वाली जबरिया मोहब्बत भी है। म से मुन्नाभाई, म से माफी, म से मत करो मक्कारी, माफी देने के लिए बना लो एक माफी मंत्रालय, फिर करना एक माफी कोर्ट का गठन और मंत्रालय के लिए मंत्री, उम्मीदवार बहुतेरे हैं। माफी देने की शुभ शुरूआत होने ही वाली है।
मुन्नाभाई जेल प्रदर्शन के लिए तैयार होकर चले हैं। जितने गुब्बारे मारने हैं मार लें। जेल का बादशाह मुन्नाभाई। जेल कोई नहीं जाना चाहता। चाहे जुर्म किया हो बशर्ते कि वहां पर नौकरी मिल रही हो अथवा वह फिल्म का सीन लो। फिल्मी परदे के आयरनमैन को सजा काटने के लिए पत्थर दिल और गांधीगिरी में निपुणता को दिखलाना होगा।
ठीक है : मुन्नाभाई के फेसबुक और ट्विटर के वे संदेश जो सुर्खियों में रहे
"पब्लिक को तुरत अफीम चटाओ
होश में यह कैसे आई पता लगाओ"
मच्छर से मुन्नाभाई की फेसबुक पर चैटिंग
गाजर के हलवे में तरबूज की खोज
आम ने बनायी खिचड़ी
देश का पीएम कैसा हो
ठीक है, ठीक है
कहता हो।
छह के छह बलात्कारियों ने अपना सेक्स बदलकर स्त्री करवा लिया है। अब उन्हें फांसी की या उम्र कैद की सजा तो दी नहीं जा सकती।
वोट दो और मर जाओ
रावण से फेसबुक पर मुन्नाभाई की लाइव चैट
फेसबुकिया 'जन्मदिन' से अविनाश वाचस्पति की लिखचीत
सुनो मुन्नाभाई से अन्नाभाई बनने की एक कहानी : उलूक टाइम्स
अविनाश वाचस्पति
कभी थे मुन्नाभाई
अन्ना का हुवा अवतरण
जब देव रूप सा .......
कविता का पूरा आनंद लेने और टिप्पणी देने का आनंद बांटने के लिए क्लिक कीजिए
अन्नाभाई (मुन्नाभाई) का फेसबुक खाता खतरे में : दोबारा बनाने की हिम्मत नहीं है
खाता खतरे में
खाता जो फेसबुक है
नापसंद का बटन
सक्रिय करने के चक्कर में
फेसबुक को खतरे में
डाल दिया है।
अपने लगभग 3000 मित्रों से
अब नाता टूट रहा है
क्या यह किसी अशुभ का संकेत है
या कुछ शुभ होने वाला है।
मुन्नाभाई बना था एक दिन
फिर बना अन्नाभाई
अब लगता है
सिर्फ अविनाश वाचस्पति
ही रहेगा।
वैसे मेरा मानना है
जो होता है
सदा अच्छे के लिए होता है
मेरा न सही
किसी का तो अच्छा होगा ही
यह भी मुझे खुशी देता है।
मुझे दुख देना भगवान
यदि मुझे मिले दुख से
मिलता है किसी को सुख
तो मुझे अवश्य देना दुख।
नई नहीं हैं
पुरानी हैं पंक्तियां
पर सनातन हैं
मेरे संदर्भ में।
अगर मारा गया
जाल में फंस गया
तो दोबारा नहीं बनाऊंगा
फेसबुक पर नहीं फिर
मैं आऊंगा।
मुझे मेरे ब्लॉग पर
करते रहना संपर्क
भेजते रहना ई मेल
nukkadh@gmail.com पर
पहले avinashvachaspati@gmail.com
मेल का खाता
लबालब हुआ।
अब उससे ई मेल न जा पाती है
आ भी नहीं पाती
इसलिए ई पाती भेजें
nukkadh@gmail.com पर।
मुन्नाभाई बने अन्नाभाई : आज की माज़ा खबर


जी हां, साथियों अविनाश वाचस्पति मुन्नाभाई आज से फेसबुक पर फिल्मी किरदार से निकल कर, वास्तविक किरदार में उतर आए हैं। आप सही पहचान रहे हैं उन्होंने अपना नाम अविनाश वाचस्पति मुन्नाभाई से बदलकर अविनाश वाचस्पति अन्नाभाई कर लिया है।
जैसा कि उन्होंने फेसबुक पर अपने मित्रों को बतलाया भी है कि आज अन्नागिरी की देश और समाज की सबसे बड़ी जरूरत है। अन्नागिरी मतलब सब भूखों को अन्न मिले। अन्न मिलने से मन खुश रहता है। खुश रहने से भ्रष्टाचार से मुकाबला करने की ताकत में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा है कि अन्नाभाई को थंकू न कहकर, एक जोरदार घूंसा भ्रष्टाचार के फेस पर लगाएं। इससे सबको राहत मिलेगी।
फिल्मी किरदार से अधिक वास्तविक किरदार को अपनाने पर हम सब हिन्दी ब्लॉगर और फेसबुक और अन्य साइटों पर उनके विचारों को चाहने वाले उनका हार्दिक अभिनंदन करते हैं। उनकी यह सोच वाकई काबिले-तारीफ है।
अन्नाभाई और उनके करोड़ों समर्थक इससे अवश्य ही सहमत होंगे।
अन्नाभाई की जय हो।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)