विश्‍वनाथ प्रसाद तिवारी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष

विश्‍वनाथ प्रसाद तिवारी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष


नयी दिल्ली 
प्रसिद्ध कवि, आलोचक व लेखक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है। इस पद के लिए उनका चयन सर्वसम्मति से हुआ है। वे अकादमी के 12वें अध्यक्ष होंगे। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी हिंदी लेखक को यह सम्मान मिला हो।
अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सुनील गंगोपाध्याय के निधन के बाद विश्वनाथ तिवारी कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल रहे थे। इनकी नियुक्ति नियमानुसार पांच वर्ष के लिए है। उपाध्यक्ष पद के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कन्नड भाषा के लेखक चंद्रशेखर कंबार को निर्विरोध चुना गया।
तिवारी को वर्ष 2010 में बिरला फाउंडेशन व्यास सम्मान व उत्तर प्रदेश के हिन्दी गौरव व साहित्य भूषण का सम्मान मिल चुका है। उनकी रचनाओं में सात हिन्दी कविता संग्रह शोध व आलोचना की 11 पुस्तकें शामिल हैं। दस्तावेज जैसी प्रमुख पत्रिका के अलावा इन्होंने 14 पुस्तकों का संपादन भी किया है।
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जन्में तिवारी ने बातचीत के दौरान बताया कि भारतीय साहित्य को लेकर विशेष कार्य करने की जरुरत है। इसके तहत भारतीय भाषाओं की कृतियों व लेख को विदेशों में भी लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम नोबेल पुरस्कार प्राप्त कृतियों को देखते हैं तो भारतीय साहित्य उनसे किसी भी मायने में कमतर नहीं हैं।
साहित्य अकादमी की कार्यकारी परिषद की बैठक में उन्हें अकादमी का 12वां अध्यक्ष चुना गया. इसके अलावा कत्रड. के लेखक चंद्रशेखर कंबर को अकादमी का उपाध्यक्ष और सूर्य प्रसाद दीक्षित को हिंदी परार्मश मंडल का संयोजक चुना गया. अकादमी के रवींद्र सभागार में हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में बोर्ड के 86 सदस्यों में से 79 सदस्य उपस्थित थे. 23 अक्तूबर, 2012 को सुनील गंगोपाध्याय के निधन के बाद उपाध्यक्ष विश्‍वनाथ प्रसाद तिवारी बतौर कार्यकारी अध्यक्ष काम कर रहे थे. 12 मार्च, 1954 को स्थापित साहित्य अकादमी के पहले अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे. 1954 से 1964 तक सर्वाधिक लंबे समय तक अकादमी के अध्यक्ष रहे. पहले उपाध्यक्ष डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे, जो 1954 से 1960 तक इस पद पर रहे.

साभार : प्रभात खबर और दैनिक जागरण
मोबाइल पर खोलने के लिए लिंक : प्रभात मोबाइल

1 टिप्पणी:

  1. Congratulations to Dr.Tiwari, really he is deserving for this chair. He has multi dimensional glorious personalities, he is not only a thinker and relativistic person only; besides this he is more sensitive man first..... I know him through literature but also know him in the eyes & feelings of my friend.

    जवाब देंहटाएं

आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

 
Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz