'ताज साहित्‍य उत्‍सव 2013' आगरा के नाम साहित्‍य उत्‍सव के मंच से 'फायकू' लेखन विधा सार्वजनिक हो रही है


ताज साहित्‍य उत्‍सव 2013

फायकू क्‍या है : 

अविनाश वाचस्‍पति के अनुसार : 

फायकू साहित्‍य की विधा (विशेष धारा) है। जिस प्रकार साहित्‍य में काव्‍य, कहानी, नाटक, उपन्‍यास, एकांकी, व्‍यंग्‍य इत्‍यादि का आर्विभाव हुआ है, उसी प्रकार फायकू विधा है। इसकी सहज व सरल अभिव्‍यक्ति सब पाठकों को रचनात्‍मकता के अवसर प्रदान कर रही है। यह इतनी सरल विधा है और इस तेजी से विकसित हुई है कि आप भी इसे आजमा सकते हैं। चाहे आप सिर्फ पाठक हैं, फेसबुक पर यह खूब प्रचारित और प्रसारित तथा पसंद की जा रही है। इसे सीखने और लिखने की रचनात्‍मक और सकारात्‍मक कोशिशें न्‍यू मीडिया और सोशल मीडिया पर दिखाई दे रही हैं। यह विधा निश्चित तौर पर रचनात्‍मकता के संसार में एक नई क्रांति लाएगी। अपनी भावनाओं को सच्‍चाई के साथ जितने लघु स्‍वरूप में रचनाकार अपनी अभिव्‍यक्ति दे सकता है, वही विधा और रचनाकार सफलता के नए सोपान विकसित करता है।

पहले फायकू सप्‍तक में सात रचनाकार हैं, जिनके नाम पुस्‍तक के बैक कवर पर दिखलाई दे रहे हैं।

फायकू सप्‍तक के संपादक अमन कुमार त्‍यागी लिखते हैं : 

HAYKO
में HAY का अर्थ है, सूखी घास।

FAYKO
में FAY का अर्थ है तलछट। 

यह भी सामने आया है कि आयरिश महिलाएं अपने नाम के बाद FAYKO शब्‍द का प्रयोग करती हैं। आयरिश में FAYKO का मतलब TO BLOW, WIND है। रोचकता बनाये रखने के लिए फायकू भले ही हायकू सा लगता हो। मगर इसकी व्‍याकरण हायकू से भिन्‍न है। फायकू का संबंध संगीत से भी है, मगर यहां प्रस्‍तुत विधा का नाम मात्र ही विदेशी प्रतीत होता है, जबकि यह पूर्णत: नवोदित व भारतीय है। फायकू समुचित रूप से समर्पण का भाव है। 


फायकू की व्‍याकरण :

प्रथम पंक्ति में चार शब्‍द अनिवार्य हैं, जबकि दूसरी पंक्ति में तीन और अंतिम पंक्ति में मात्र दो। अंतिम पंक्ति के लिए दो शब्‍द 'तुम्‍हारे लिये' हैं। इन्‍हें रचनाकार अपनी रुचि के अनुसार तय कर सकते हैं। 'तुम्‍हारे लिये' बदलकर अगली बार संभवत: 'हमारे लिये' हो जबकि इसमें स्‍वार्थी भाव नहीं रहेगा। यह एक मिसाल है :


अविनाश वाचस्‍पति के कुछ लोकप्रिय फायकू : 

बरसात में ओढ़ी छतरियों 
पर शहर बसाए
तुम्‍हारे लिये। 

विज्ञान से हटायेंगे गरीबी
सबके पीएम सिर्फ
तुम्‍हारे लिये। 

मौसम बरफ हो रहा
बरफी हो जाये
तुम्‍हारे लिये। 

खा लिए अखरोट बादाम
पूछ लूं दाम
तुम्‍हारे लिये। 

करतूतें महाबालिग की करूं
मैं नाबालिग हूं
तुम्‍हारे लिये।


2 टिप्‍पणियां:

  1. हयं ! मुझं तो ये मामला कुछ सीरियस सा होता लग रहा है.
    वर्ना मैं तो अभी तक यही समझता था कि कुछ लोगों को जो फेंकने की आदत होती है अगर वही काम फ़ेसबुक पर किया जाए तो उसे फ़ायकू कहने लग गए हैं लोग् साहित्य का विद्यार्थी होने के बावज़ूद मैंने इसके बारे में पहले कभी कहीं कुछ नहीं पढ़ा :(

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    1. शुरूआत ऐसे ही हुआ करती है काजल भाई। अब आपके लिखे फायकू भी हम अवश्‍य पढ़ पाएंगे। वैसे आसान लिखना सबसे कठिन कार्य है।

      हटाएं

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