पॉर्न वीडियो के खिलाफ सख्‍त कानून बनाने की जरूरत है


डीएनए 23 जनवरी 13 पेज 8 
आप मथुरा या राजस्‍थान अथवा ऐसी जगहों पर जहां पर गली-गली में मंदिरों में भगवान बसते हैं, में ऐसा कुकर्म करके क्‍या संदेश समाज को देना चाह रहे हैं। जबकि ऐसे कुकर्म समाज में कहीं पर भी स्‍वीकार्य नहीं हैं। चोरी छिपे पॉर्न वीडियो बनाना और उन्‍हें साइटों पर अपलोड करके धन अर्जित करना समाज के लिए तो घातक है ही, जिनकी ऐसी वीडियो बनाई जाती हैं, उन्‍हें काफी शर्मिन्‍दगी का सामना करना पड़ता है। जबकि यह कुकर्म इंटरनेट तकनीक की देन है। तकनीक और विज्ञान ने  मनुष्‍य के जीवन को काफी ऊंचाईयां दी हैं और समाज का विकास हुआ है परंतु आरंभ से ही तकनीक और विज्ञान के नुकसान समाज को होते रहते हैं। अब जो हो रहा है वह तकनीक के कारण नए नुकसानों में से है। अभी पिछले दिनों बलात्‍कार के दुष्‍कर्मियों को सख्‍त सजा देने की मांग, प्रत्‍येक जायज तरीके से और खूब जोर शोर से मोमबत्तियां जलाकर जनता कर चुकी है, इस क्षेत्र में अनेक विभागों में सकारात्‍मक कदम उठाए भी गए हैं।

अब समय आ गया है कि वैसी ही डिमांड आप सबको पॉर्न वीडियो संबंधी मामलों पर रोक लगाने के लिए भी करनी चाहिए। यह कोई अच्‍छी बात नहीं है कि पॉर्न वीडियो बनाकर इंटरनेट साइटों पर अपलोड कर दी जाती है और लाखों लोगों उसे देखते हैं, जिनके निजी पलों को इस प्रकार सार्वजनिक किया जाता है, वे जीवित हैं और समाज में रह रहे हैं। वे हों अथवा न हों परंतु ऐसे दुष्‍कर्मियों को सजा अवश्‍य दिलवाई जानी चाहिए।  अगर किसी भी प्रकार का पापकर्म हुआ है तो उसके लिए सख्‍त सजा दी ही जानी चाहिए। समाज में दुष्‍कर्म की जितनी घटनाएं होने लगी हैं जबकि उनमें से कितनी ही घटनाएं तो तकनीक की वजह से बढ़ गई हैं और उनके लिए अभी तक सजाएं भी तय नहीं की जा सकी हैं। इससे साबित होता है कि कानून बनाने वाले और उन्‍हें लागू करवाने वाले तकनीक के मुकाबले बहुत ही धीमी गति से अपना कार्य कर रहे हैं। तकनीकी खरगोश के जमाने में कछुआ गति ठीक नहीं कही जा सकती है। बल्कि वे डाल-डाल चलते हैं तो आपकी पात-पात चलने की जिम्‍मेदारी बनती है, न कि पेड़ देखा और अनदेखा करके साइड से खिसक लिए।

ऐसी व्‍याधियां हमारी नौकरशाही की वजह से कैंसर बन जाती हैं और तब हम उनकी चिकित्‍सा करनी शुरू करते हैं। इन बीमारियों का होना दरअसल इंसान का मानसिक रूप से विकृत होना है।  जितनी तेजी से तकनीक पर विजय पाई जा रही है और उससे समाज को नफा हो रहा है,  उससे भी अधिक तेज गति से मानसिक विकृतियां पैदा हो रही हैं और इनसे मुकाबला करने के लिए हम तैयार नहीं हैं या हमने मन नहीं बनाया है। तो दोषी तो हम भी हुए न। इस प्रकार से आर्थिक लाभ कमाना ठीक नहीं है परंतु आज विलासी जीवन जीने के लिए बेहिसाब धन चाहिए और उस धन को हासिल करने के लिए गंदी मनोवृति।  इसलिए धन कमाने के लालच में यह कुकर्म किए जा रहे हैं।

एक और कुप्रवृत्ति जो देखने में आ रही है कि आपसी संबंधों में दहेज की डिमांड पूरी न होने पर एक पति ने अपनी पत्‍नी की ही वीडियो और फोन नंबर इंटरनेट पर डाल दिया, क्‍या इस दुष्‍कर्म के लिए पति को सम्‍मानित किया जाना चाहिए। अगर नहीं तो कानून कड़े होने चाहिए जिससे डर कर अन्‍य लोग इस मनोवृति को अपनाने से बचें। कुछ प्रेमी शारीरिक हवस पूरी करने के लिए इस कदर गिर जाते हैं कि वे अपनी तथाकथित प्रेमिकाओं के आपत्तिजनक वीडियो और एमएमएस बनाकर बांट देते हैं।

ऐसे अपराधियों की नंगी फोटो इंटरनेट पर डाल दी जानी चाहिए। जिससे ये लोग शर्म महसूस करें और समाज में अपनी पहचान बतलाने से भी डरें। ये जिस व्‍यवसाय अथवा नौकरी में हैं तो इसकी सूचना वहां पर भी आवश्‍यक तौर पर दी जानी चाहिए जिससे इन्‍हें वहां से तुरंत बर्खास्‍त कर दिया जाए। इसके साथ ही जेल भेजने व अन्‍य कड़ी सजाएं देने का भी प्रावधान होना चाहिए। यह नहीं कि इन्‍हें आम मामलों की बढ़ने दिया जाता रहे। कोई कार्रवाई न होना या देर से होना इस प्रकार की घटनाओं की बढ़ोतरी में सहायक होता है।

समाज में इनके खिलाफ जागृति लाने के लिए तेजी से अभियान चलाने की जरूरत है। आप जिस प्रकार भी इस प्रकार के मामलों को रोकने में सहायक बन सकते हैं, आपको तुरंत अपने-अपने स्‍तर पर कारगर कदम उठाने चाहिए, यही समय की मांग है।

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10 टिप्‍पणियां:

  1. "ऐसे अपराधियों की नंगी फोटो इंटरनेट पर डाल दी जानी चाहिए। जिससे ये लोग शर्म महसूस करें" - इससे असहमत, क्योंकि ऐसा करने से नग्नता और बेशर्मी ही आगे बढेगी. ऐसी सामाजिक कुरीतियों को रोकने के लिये युवा पीढी को नैतिक शिक्षा चाहिये ताकि वो समझ सके कि क्या सही है और क्या गलत.

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    1. बढ़ेगी नहीं, मुझे लगता है कि इससे डर कर वे ऐसा गलत काम नहीं करेंगे। नैतिक शिक्षा की तो जरूरत है ही, इससे किसी को इंकार नहीं हो सकता है।

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  2. उत्तर
    1. अब कोई फंसाना चाहेगा तो फंस जाएंगे। वैसे इन दुष्‍कर्मियों का भी मान होता है और वे उसकी परवाह भी करते होंगे, मुझे नहीं लगता।

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  3. सहमत हूँ आपकी बातों से...

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  4. बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती सटीक सामयिक अभिव्यक्ति...

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  5. सिर्फ सोचने भर से नहीं, कांग्रेस की तरह चिंतन करने से कोई लाभ नहीं होगा। न्‍यू मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए इस और इस जैसी विसंगतियों से समाज को मुक्ति दिलानी होगी हम सबको मिलकर।

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