एक दरवाजा बंद हो रहा है
दूसरा खुल रहा है
और
इस घर में खिड़की सब
लॉक कर दी गई हैं।
तथाकथित घर में 12 खिड़कियां
और 52 शीशे लगे हैं
उनमें से कुछ शीशे
तोड़े हैं जानवरवृतिधारकों ने
बाकी के बलात्कारियों ने
चकनाचूर किए हैं।
किरचें जिनकी महसूस
हो रही हैं अभी तक
और हमेशा सालती रहेंगी
साल दर साल
ऐसी आरती सब गाएंगे
किंतु भगवान के नजदीक
नहीं पहुंच पाएंगे।
बहरहाल, एक सदस्यिता प्रतिनिधिमंडल
भेजा है इंसानों ने
'दामिनी' की अगुवाई में
परंतु पता लगा है कि
वहां की ब्यूरोक्रेसी में भी
अफसरों और नेताओं का
पूरा दखल है
इसलिए वहां भी
खल रहा है बिटिया को।
रास्ता आगे नहीं खुलता है
वहां से
कोई सुरंग भी नहीं पहुंचती
पाताल तक
सब जगह शून्य ही शून्य है
शून्य का ही अकाल है
काल भी शून्य है
समय भी शून्य है।
शून्य है सब कुछ
इसलिए संसद भी शून्य है
शून्य है इंतकाम
हर काम शून्य है।
इंटरनेट है नहीं
मोबाइल अभी बना नहीं
आई पैड का नहीं है
नाम ओ निशां
पर चेहरा और बदन
उसका छलनी छलनी है
आत्मा में भी लगा दिए
जाले हैं
जाली इंसान ने।
अविनाश वाचस्पति
नव वर्षकी ढेर सारी मंगलकामनायें।
जवाब देंहटाएंढेर की बजाय
हटाएंबेर भर देते
मुंह में मित्र
स्वाद जीभ पर
खींच लेता चित्र।
:-( :-(
जवाब देंहटाएं:-( :-(
हटाएं:-( :-(
:-( :-(
प्रत्युत्तर में तिगुना लें
आपको भी शुभाशुभ कामनाएं
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