हिंदीप्रेमियों पुस्‍तक मेले में रायता मत फैलाओ वरना बिखर जाएंगे हम सब (कविता)


पुस्‍तक मेले में
पुस्‍तकें मिलें
अथवा न मिलें
इंसानों का मिलना
बहुत ज़रूरी है

इसी से फैलती है
इंसानियत
इसे फैलाने के लिए
सच्‍चा और ईमानदार
इंसान ही
करता है कोशिश

किसी बेईमान ने
ईमानदारी से भी
गर की है कोशिश
बिखर गया है
चारों ओर रायता

रायता यह विचारों
का नहीं है
रायता दही का
भी नहीं है
और
दूध से कभी
नहीं बनाया
जाता रायता

क्‍या आपको
कुछ है पता
कि कौन सा है रायता
किस चीज का है
रायता

बस किसी भी
रायते को
फैलने और
फैलाने से रोकना

हिन्‍दी वालों की
जिम्‍मेदारी है
और वे ही
पूरी तन्‍मयता से
इस रायते को
फैलाने से
नहीं आ रहे हैं
बाज

यह बाज नहीं है पक्षी
यह बाजी मारने की कला है
जिसमें फंसा प्रत्‍येक
हिंदी प्रेमी का गला है।

6 टिप्‍पणियां:

  1. ..सब अपने-अपने रायते फैला रहे हैं,
    हम तो खरामा-खरामा ही जा रहे हैं !

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    उत्तर
    1. खरामा खरामा जाने में ही भला है

      रायते में डूबना मना है

      हटाएं
  2. कहीं एक गला फंसा है
    कहीं दो गला फंसा है
    वाकई
    फंसा तो हिंदी प्रेमी का गला है।

    जवाब देंहटाएं

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