(1)
घृणित-मानसिकता गई, असम सड़क पर फ़ैल ।
भीड़ भेड़ सी देखती, अपने मन का मैल ।
अपने मन का मैल, बड़ा आनंद उठाती ।
करे तभी बर्दाश्त, अन्यथा शोर मचाती ।
भेड़ों है धिक्कार, भेड़िये सबको खाये ।
हो धरती पर भार , तुम्हीं तो नरक मचाये ।।
(2)
जंतर मंतर दिल्ली से
जमी हुई संतोष हैं , जंतर मंतर आय |
अनशन पर बैठे हुवे, है जिन्दा बतलाय |
है जिन्दा बतलाय, बड़े जालिम ससुरारी |
मृत घोषित कर हड़प, रहे संपत्ति हमारी |
राहुल सुनो गुहार, करो शादी बेटी से |
दूंगी तुम्हें दहेज़, करोड़ चौदह पेटी से ||
dono sochne ko majboor karti hui rachnaye hai !
जवाब देंहटाएंaabhar
magar wo ladki bhi SHARAB PARTY men gai thi JANAAAAAB !
हटाएंसलीम भाई !
जवाब देंहटाएंतमाशबीन भी doshi hain -
maine ladki ko nirdosh नहीं बताया है -
सादर -
शराब पार्टी में जाने से उसे पीटने का हक पुरुष को किसने दिया? यदि शराब पार्टी में जाने का अर्थ सार्वजनिक पिटायी है तो फिर पुरुषों को क्यों नहीं इसी तरह पीटा जाता है?
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