उनकी मदिरा सोमरस, इज्जत करे समाज ।
रविकर पर थू थू करे, जो खाया इक प्याज ।।
बाइक को पुष्पक कहे , घूमे मस्त सवार ।
रविकर का वाहन लगे, उसे खटारा कार ।
रविकर आदर भाव का, चाटुकारिता नाम ।
नजर हिकारतमय वहां, ठोके किन्तु सलाम ।।
रविकर के चुटुकुले भी, लगते हैं अश्लील ।
मठ-महंत के हाथ से, कर लें वे गुड-फील ।।
जालिम कर दे क़त्ल तो, वे बोले इन्साफ ।
रविकर देखा भर-नजर, नहीं कर सके माफ़ ।।
रविकर करे ठिठोलियाँ, खाय गालियाँ खूब ।
पर उनके व्यभिचार से, नहीं रहा मन ऊब ।।
रविकर की पूजा लगे, ढकोसला आटोप ।
खाए जूता-गालियाँ, करे न उनपर कोप ।।
रविकर चूल्हा कर रहा, प्रर्यावरण खराब ।
उनकी जलती चिता को, हवन कह रहे सा'ब ।।
तूफानी गति ले पकड़, रविकर इक अफवाह ।
उनके घर का तहलका, शीतल पवन उछाह ।।
हकीकतें रविकर भली, पर घमंड हो जाय ।
वहां अकड़पन स्वयं की, बोल्डनेस कहलाय ।।
उनकी दादा-गिरी भी, रविकर रहा सराह ।
किन्तु हमारी नम्रता, दयनीयता कराह ।।
सहे छिछोरापन सतत, हर चैंबर में जाय ।
हाय बाय रविकर करे, पकड़ कान दौड़ाय ।।
सहे छिछोरापन सतत, हर चैंबर में जाय ।
हाय बाय रविकर करे, पकड़ कान दौड़ाय ।।
कमाल का छंद रचा है रविकर जी। आनंद आ गया। एकदम निर्गुणी है।
जवाब देंहटाएंaabhaar Lalit Bhai
हटाएंSaadar
रविकर करे ठिठोलियाँ, खाय गालियाँ खूब ।
जवाब देंहटाएंपर उनके व्यभिचार से, नहीं रहा मन ऊब ।।
रविकर चूल्हा कर रहा, प्रर्यावरण खराब ।
उनकी जलती चिता को, हवन कह रहे सा'ब ।।
बहुत ही सारगर्भित और प्रासंगिक प्रस्तुति ब्लोगर पर चल रहे कई वाक् धारावाहिकों के संदर्भ में जिसमे एक पक्ष दूसरे पर लगातार मिसायल दाग रहा है .
अजी गाली खाओ ,दरिया में डालो यानी 'गाली खा दरिया में डाल 'रविकर सबो रहा बताय ...
पर्यावरण कर लो बेशक ब्लोगिया पर्यावरण बिगड़ कर 'प्रयावरण'(प्रिया -वरण) ही हो गया सही .
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जवाब देंहटाएंरविकर देख उलटा चलन, गुण ना तजना होय।
जवाब देंहटाएंचढ़े शिखर जब धीरता, तुनक-मिजाजी रोय॥
सादर -
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