फादर्स डे पर सज गए हैं बाजार मेरे पिता - अविनाश वाचस्पति
फादर्स डे के नाम पर सज गए बाजार
सन सभी हो गए हैं दुकानदार
फादर भी नहीं बच पाए हैं
सन के दर पर नहीं आए हैं
पिता दिवस के नाम पर
चल रहा है धंधा
अंधी हुई है कमाई
बाजार की भाषा में
पाई है मलाई