अरे, नहीं मिला
क्यों कलेजा जला रहे हो
जिगर अपना फूंक रहे हो
लीवर को यूं ही घुमा रहे हो
मालूम है
बिना काम के काम करने से
घिस जाता है दिमाग
दिमाग जो एक जंगल है
उसमें लग जाती है
भयानक आग
आग जो हिन्दी ब्लॉगों पर
तेजी से भड़क सकती है
तब सब कहते हैं
सक्रियता आ गई है
हिन्दी ब्लॉगों पर
गति हो गई है धीमी
फेसबुक की
लेकिन फेसबुक
द्विभाषी है
उसमें हिंदी और अंग्रेजी की
लगी हुई तीली है
जो माउस लगते ही
चिंगारी बनके
सबको भड़काती है
अच्छे विचार वालों को
आपस में मिलाती है
बुरे वालों को
उन्हें भी मिलाती है
बना देती है संगठन
फिर उभर आते हैं
उसमें से मठाधीश
मठ कब्जे में कर लिए जाते हैं
पुरस्कार किसी अपने
अविनाश वाचस्पति को
ज्ञानपीठ दे दिया जाता है
चिल्लाते हैं वे
जिन्हें नहीं मिलते
ज्ञानपीठ हो गया है
अज्ञानपीठ
उसे नहीं मालूम
हिंदी ब्लॉगिंग में
पुरस्कार देना कर्म नहीं है
हिंदी ब्लॉगरों का यह
धर्म नहीं है
धर्म है कि कोई कदम बढ़ाए
तो गर्म हो जाओ
कदम खींच के उसका
तुरंत मुंह के बल गिराओ
उससे भी गर्मागर्म पोस्ट लगाओ
उससे अधिक खौलती हुई
टिप्पणी छापो
कोई दे तुम्हें
तो चुप लगा जाओ
नहीं तो मुझे ज्ञानपीठ दो
का खूब शोर मचाओ
हिंदी ब्लॉगिंग में भी
होना चाहिए ज्ञानपीठ
सुनो रवीन्द्र प्रभात
नहीं दिया इस बार मुझे
तो पुरस्कार सारे तुम्हारे
हो जाएंगे औचित्यविहीन
फिर कैसे काटोगे फसल महीन
पुरस्कारों की
वोटों की
भाई भतीजावाद की
इसलिए मत देना
हिंदी ब्लॉगिंग में ज्ञानपीठ
नहीं तो फिर कैसे दिखाएंगे
हिंदी ब्लॉगर अपनी पीठ
बिना पुरस्कृत हुए
नहीं दिखाते हैं पीठ
हिंदी ब्लॉगर ढीठ।
क्यों कलेजा जला रहे हो
जिगर अपना फूंक रहे हो
लीवर को यूं ही घुमा रहे हो
मालूम है
बिना काम के काम करने से
घिस जाता है दिमाग
दिमाग जो एक जंगल है
उसमें लग जाती है
भयानक आग
आग जो हिन्दी ब्लॉगों पर
तेजी से भड़क सकती है
तब सब कहते हैं
सक्रियता आ गई है
हिन्दी ब्लॉगों पर
गति हो गई है धीमी
फेसबुक की
लेकिन फेसबुक
द्विभाषी है
उसमें हिंदी और अंग्रेजी की
लगी हुई तीली है
जो माउस लगते ही
चिंगारी बनके
सबको भड़काती है
अच्छे विचार वालों को
आपस में मिलाती है
बुरे वालों को
उन्हें भी मिलाती है
बना देती है संगठन
फिर उभर आते हैं
उसमें से मठाधीश
मठ कब्जे में कर लिए जाते हैं
पुरस्कार किसी अपने
अविनाश वाचस्पति को
ज्ञानपीठ दे दिया जाता है
चिल्लाते हैं वे
जिन्हें नहीं मिलते
ज्ञानपीठ हो गया है
अज्ञानपीठ
उसे नहीं मालूम
हिंदी ब्लॉगिंग में
पुरस्कार देना कर्म नहीं है
हिंदी ब्लॉगरों का यह
धर्म नहीं है
धर्म है कि कोई कदम बढ़ाए
तो गर्म हो जाओ
कदम खींच के उसका
तुरंत मुंह के बल गिराओ
उससे भी गर्मागर्म पोस्ट लगाओ
उससे अधिक खौलती हुई
टिप्पणी छापो
कोई दे तुम्हें
तो चुप लगा जाओ
नहीं तो मुझे ज्ञानपीठ दो
का खूब शोर मचाओ
हिंदी ब्लॉगिंग में भी
होना चाहिए ज्ञानपीठ
सुनो रवीन्द्र प्रभात
नहीं दिया इस बार मुझे
तो पुरस्कार सारे तुम्हारे
हो जाएंगे औचित्यविहीन
फिर कैसे काटोगे फसल महीन
पुरस्कारों की
वोटों की
भाई भतीजावाद की
इसलिए मत देना
हिंदी ब्लॉगिंग में ज्ञानपीठ
नहीं तो फिर कैसे दिखाएंगे
हिंदी ब्लॉगर अपनी पीठ
बिना पुरस्कृत हुए
नहीं दिखाते हैं पीठ
हिंदी ब्लॉगर ढीठ।
देना ही पडेगा अब भी नहीं दिया तो समझो कौरे हैं...
जवाब देंहटाएंचाहिए नहीं, पर नहीं मांगा तो कहेंगे कि मांगा ही नहीं, वरना हम तो देने को तत्पर थे। दे दिया तो उनकी बल्ले बल्ले।
हटाएंjai ho......lad kar lenge.....
जवाब देंहटाएं...अब तो मिलकर ही रहेगा :-)
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
बहुत सुन्दर! आभार...!
जवाब देंहटाएं"...धर्म है कि कोई कदम बढ़ाए
जवाब देंहटाएंतो गर्म हो जाओ
कदम खींच के उसका
तुरंत मुंह के बल गिराओ
उससे भी गर्मागर्म पोस्ट लगाओ
उससे अधिक खौलती हुई
टिप्पणी छापो
कोई दे तुम्हें
तो चुप लगा जाओ ..."
सौ बातों की कही है
एक बात
जिनकी औकात नहीं है
वो दिखाते हैं औकात
और सामने वाले से
पूछते हैं कि
तुम्हारी क्या है औकात!
आजकल औकात की री-ब्रांडिंग हो रही है !
हटाएंअविनाश जी, जबरदस्ती नहीं चलेगी
जवाब देंहटाएंअज्ञान की नुरा कुस्ती नहीं चलेगी
चलेगी तो बस वही जो पब्लिक चाहेगी
मठाधीशों की खोखली सरपरस्ती नहीं चलेगी
ज्ञानपीठ से ऊपर है अपना यह ब्लॉग संसार
क्योंकि रवि जी हमेशा कहते हैं-
यह है हिंदी ब्लोगिंग का नोबेल पुरस्कार !
मन में किसी भी प्रकार का भ्रम मत पालिए
आज आखिरी दिन है वोट तो दे ही डालिए .....!
वैसे सौ बातों की कही है एक बात
जिनकी औकात नहीं है वो दिखाते हैं औकात
और सामने वाले से पूछते हैं कि
तुम्हारी क्या है औकात ?
अरे ओ सांभा, कितने आदमी है ?
जवाब देंहटाएंकहाँ सरदार ?
अरे तुम्हरे ब्लॉग जगत मे और कहाँ ससुरा ?
सरदार आदमी और औरत मिलाके पच्चीस हजार से ऊपर ?
ई तो घोर नाइंसाफी है, ब्लॉगर पच्चीस हजार और कुल जमा 51 पुरस्कार
बोलो ठाकुर को सबको बाँट दे पुरस्कार
ताकि कोई भी न कर सके वाहीष्कार .....हा,हा,हा,.....हा ।