मठाधीशों से आक्रांत नहीं हैं हिन्‍दी के चिट्ठाकार : बेहद सुखद रहा आज का ब्‍लॉगर मिलन कार्यक्रम

हिंदी ब्‍लॉगर सर्वोत्‍तम, बुराईयों का मना रहे हैं मातम
आज का दिन हम जैसे ब्लॉगर्स के लिए बड़ा सुखद रहा.परसों अविनाश वाचस्पतिजी से खबर मिली थी कि लखनऊ से सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी दिल्ली पधारे हैं और शाम को उनके यहाँ आ रहे हैं.यह जानकर मैं भी उनके दर्शनार्थ बारिश-तूफ़ान के बीच अविनाश जी के यहाँ पहुँच गया था.वहीँ पर बातचीत के क्रम में त्रिपाठीजी ने छोटे-मोटे ब्लॉगर-मिलन की इच्छा जताई थी.
जो कह रहे हैं कि रेस्‍ट्रां के भीतर का चित्र देखेंगे, उनके लिए

कल आख़िरकार स्थान व समय तय हो गया और आज कनाट प्लेस के एम्बेसी रेस्टोरेंट में शाम चार बजे मिलने का कार्यक्रम तय हुआ.
दो दिग्‍गज या मीटर

फेसबुक ,एस एम एस और फोन  द्वारा अधिकतर ब्लॉगरों तक संपर्क किया गया और इतने कम नोटिस में आज करीब बीस लोग वहां पहुँच गए.सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीजी के तत्वावधान में हुई  और इस बैठक की देखरेख उन्हीं के भतीजे गौरव त्रिपाठी ने बखूबी संभाली !चाय-नाश्ते जलपान के बाद डॉ. टी.एस दराल ने सभी को बारी-बारी से अपना परिचय देने को कहा.
डॉ. दराल गंभीर चिंतन

सबने संक्षिप्त रूप से अपना परिचय और ब्लॉगिंग के अनुभव सुनाये.दराल साब ने ब्लॉगिंग में  फेसबुकिया  अतिक्रमण पर चर्चा शुरू की जिस पर हर्षवर्धन त्रिपाठी,यशवंत सिंह,सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ,खुशदीप सहगल  व अविनाश वाचस्पति ने अपने विचार व्यक्त किये.ब्लॉगिंग से इतर अखबारीय-सामग्री पर चर्चा में विष्णु गुप्त और हर्षवर्धन जी में ख़ासा विमर्श हुआ.फज़ल इमाम मल्लिक ने सभी को अपनी पत्रिका 'सनद' की प्रति भेंट की व विमर्श में आखिर तक डटे रहे !
कितना हंसते हैं ब्‍लॉगर, हंसी के लगते हैं सागर

बाद की चर्चा में अमरेन्द्र नाथ  त्रिपाठी,कुमार कार्तिकेय मिश्र ,संतोष त्रिवेदी ,राधा रमण जी,शैलेश भारतवासी (हिंद युग्म) सुलभ सतरंगी और भूपाल सूद जी (अयन प्रकाशन ) शामिल हुए और विभिन्न पहलुओं पर विशद चर्चा हुई,जिसे इसी बात से जाना जा सकता है की यह बैठक कुल मिलकर चार घंटे तक चली.हालांकि दराल साहब,खुशदीप जी,हर्षवर्धन त्रिपाठी जी और यशवंत जी समयाभाव के कारण थोड़ा पहले चले गए पर हम बाकी लोग बाद में पास में ही पार्क में करीब घंटे भर बतियाते रहे.चलते-चलते सिद्धार्थ जी ने विशेष पान की व्यवस्था की और हम लोग इस तरह अपने-अपने गंतव्य की ओर चल दिए.

सिद्धार्थ की मुस्‍कराहट का लगाइए अर्थ
अविनाशजी,सुलभ,दराल दंपत्ति ,यशवंतजी व कार्तिकेय मिश्र  
विशेष रूप से इस बैठक और इसकी व्यवस्था करने के लिए हम सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी के आभारी हैं जिन्होंने हम ब्लॉगरों के लिए बहुत बड़ा दिल दिखाया और यह मुलाक़ात मुमकिन की.मेरे लिए किसी ब्लॉगर मिलन का यह पहला जीवंत अनुभव है.
सबका पहला नंबर है

यह पहली और त्‍वरित पोस्‍ट हैं। इसे उसी आशय में पढि़एगा। विस्‍तृत जानकारी आपको शीघ्र ही अन्‍य उपस्थित हिंदी चिट्ठाकारों के ब्‍लॉगों और फेसबुक खातों पर मिलेगी। उनका रसास्‍वाद करना मत भूलिएगा। 

16 टिप्‍पणियां:

  1. कई ब्लॉगरों से पहली बार मिलना हुआ। त्रिवेदी जी,यशवंत जी और अविनाश जी के हास्यबोध ने रंग जमा दिया।

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  2. चित्रों के माध्यम से हम ङी इस मीट में शामिल हुए!

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  3. पहला अनुभव मुबारक हो :)
    ब्लॉगर कौमार्य भंग होने की भी बधाई !

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    1. ब्‍लॉगर की कौम आर्य रंग जमाती है, भंग नहीं होने पाती है।

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    2. अरविन्द जी
      ब्लॉगिंग का पहला कौमार्य-भंग ज़रूर हुआ इस मिलन से पर यकीन मानिए,शील-भंग नहीं हुआ !
      आपका ही प्रताप छाया हुआ था वहाँ भी,मेरी ब्लॉगिंग को रफ़्तार दी है आपने !

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    3. गियर मानें या पिस्‍टन अरविन्‍द जी को। रफ्तार वहीं से बनती है।

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  4. Char paje to ham bhi pahunch gaye the ....magar hame to koi dikha nahi....fir hamne pandit ji ko ph bhi kiya magar koi responce nahi mila......

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    1. आपके पास हमारा तो नंबर रहा नहीं होगा तारकेश्‍वर भाई फिर तार कैसे जुड़ते बेतार के

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    2. तारकेश्वर जी, उसी स्थान पर हम बीस की संख्या में जमा थे और खूब बातें हुईं। फिर भी आपको कोई नहीं मिला यह हमारा दुर्भाग्य है। मेरा फोन भी चालू था लेकिन जो छः मिस्ड काल थे उसमें आपका एक भी नहीं था। यह भी हमारा दुर्भाग्य है।

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  5. ...सबसे मजेदार अनुभव रहा पान चबाने का ! गौरव त्रिपाठी ने सिद्धार्थ जी का संकेत पाकर बरफ-से भरा ऐसा गोला मुँह में घुसाया कि पूछो मत !अमरेन्द्र त्रिपाठी ने तो इसे 'अमानवीय-कृत्य' करार दिया और मेरा जबड़ा अभी तक हिला हुआ है !!

    सच में,सिद्धार्थ जी पूरी तल्लीनता से इसमें लगे रहे,आखिरी वक्त तक सलिल वर्मा जी और इष्टदेव आदि से बराबर संपर्क होने पर भी उनका आना नसीब न हो सका.

    पुनः सिद्धार्थ जी,अविनाशजी सभी का आभार !

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  6. आभार इस रिपोर्ताज का....अच्छा लगा...

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    1. वैसे अंतरिक्ष में एक उड़नतश्‍तरी की खबर मिली थी परंतु सुना गया कि वह कोट नहीं पहने थी इसलिए उतर न सकी।

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  7. अपन का कनेक्सन कटा है, कैफे पर कम वक़्त में नेट की खुन्ची लगा रहा हूँ :)

    मजेदार था मिलना, खासकर कि छिद्रान्वेषण आदि दुर्गुणों से मुक्त रही मीटिंग. दराल जी आदि कई जागरूक ब्लागरों से पहली बार मुलाक़ात हुई और उनके ब्लागीय सरोकार कई दृष्टियों से आश्वस्तिमूलक लगे कि ब्लागरों की नजर में सार्थकता और हिन्दी में बहुतेरे विषयों की अभाव-पूर्ति जरूरी समझी जा रही है.

    संतोष जी ने सही ही स्मरण कराया पान वाले वाकये का, बात यह थी वह पान का बर्फीला पलीता था, पलीते की ही तरह तोपची ने सबके मुंह में लगाया था, आखिर ब्लॉगर भी तो तोप चीज होता है :))

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