पीयूष पांडे कृत 'छिछोरेबाजी का रिजोल्‍यूशन' : हिंदी ब्‍लॉगर, फेसबुकधारक और ट्विटरकारक लोकार्पण समारोह में शामिल हो रहे हैं

मैं लाल शर्ट में : मुझे पहचानो : वैसे नीचे मेरा नाम लिखा है

छिछोरेबाजी से परिचित हैं
या अनुभव रखते हैं कुछ
इस कला का अपने यौवन वाले
जीवन में, पर जीवंत हो।

जानते हैं तो टिप्‍पणी में बतलाइए
जानना चाहते हैं तो शुक्रवार
20 अप्रैल 2012 को शाम 5 बजे चले आइए
फिल्‍मसिटी नोएडा स्थित मारवाह स्‍टूडियो में
पूरा रिजोल्‍यूशन पेश किया जा रहा है
छिछोरेबाजी का, यहां छोरियों की कोई बाजी नहीं है
उसके लिए यहां पर कोई राजी भी नहीं है।

चित्र तो इसलिए लगाया है कि आप
मोहित हो जाएं और बिना आंखें बंद किए
दौड़े चले आएं
वैसे आएंगे तो भी निराशा नहीं होगी
पर उतनी बड़ी परिभाषा भी वही होगी।

पीयूष पांडे का अपना अनुभव है
या सपना अनुभव है
अब यह मत पूछिएगा
कि यह सपना कौन है

सच्‍चाई है, कल रूबरू होइएगा
निर्मल मन वाले बाबा भी पधार रहे हैं
किरपा भी होगी
पाठकों की भी, व्‍यंग्‍यकारों की भी
स्‍टूडियो के बाहर पार्किंग में कारों की भी
अब सारी कथा और नाम यही सुन लेंगे
तो इमेज पर क्लिक करके क्‍यों पढ़ेंगे

इसलिए मैं उतरता हूं
आप इमेज पर क्लिक करके चढ़ जाइए
और पूरा कार्ड शब्‍द दर शब्‍द याद करके आइए
और अपनी पिघली हुई धाक को मजबूती से जमाइए।

1 टिप्पणी:

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