पवन कुमार जी ऑडिटोरियम के मुख्य दरवाजे पर पहुंचे ही थे कि दरवाजा बंद कर दिया गया. काफी देर दरवाजा खटखटाया तो चौकीदार बाहर निकला व बोला, "साब ऑडिटोरियम में घुसने का समय समाप्त हो गया है और वैसे भी अंदर बहुत भीड़ है. आप वापस ही लौट जायें." पवन कुमार जी चौकीदार को सुनते हुए मन ही मन विचार कर रहे थे, कि आज के दिन के लिए कितने दिनों से लगा हुआ था. "भ्रष्टाचार के विरुद्ध मौन" इस सन्देश को ई-मेल, पत्रों व एस.एम्.एस. द्वारा करीब एक महीने से सभी मित्रों को निरंतर भेजा और आज जब वह दिन आया तो
मौन (लघु कथा)
Posted on by Sumit Pratap Singh in