नवीन अपने माता-पिता से मिलकर अपनी गर्भवती पत्नी के साथ वृद्धाश्रम से वापस घर को चल दिया. उसके माता-पिता नम आँखों से अपने बेटे व बहू को जाते हुए देख रहे थे.व्यस्त दिनचर्या के कारण नवीन के पास अपने माता-पिता के लिए समय ही कहाँ बच पाता था
वरदान (लघु कथा)
Posted on by संगीता तोमर Sangeeta Tomar in