0.082 पैसा प्रतिदिन की दर से खुशियां बांटते है आपस में

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  • बाल भवन जबलपुर
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  • क़दीम कस्बों में कैसा सुक़ून होता है 
    थके थकाए हमारे बुज़ुर्ग सोते हैं...!!
    साभार: सदभावना-दर्पण
     पेशनर एसोसिएशन
    के अध्यक्ष
    श्री एल.एल. रजक
    सेवा निवृत्त रेल-गार्ड

              बेशक़  बुज़ुर्गों के हालात को बयां करताबशीरबद्र साहब का ये शेर से शुरु होती है पेंशन याफ़्ता बुज़ुर्गों की आज़ की दास्तां परसाई जी वाले भोला राम के जीव की क्रांतिकारी दास्तां हो..ऐसा नहीं है..


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