सिलवटों की सिहरन

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  • vijay kumar sappatti
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  •  " सिलवटो की सिहरन "

    अक्सर तेरा साया '
    एक अनजानी ढूंढ से चुपचाप चला आता है ;
    और मेरे मन की चादर में सिलवटे बना जाता है ...
     मेरे हाथ मेरे दिल की तरह 
    कांपते है , जब  मैं 
    उन सिलवटो को अपने भीतर समेटती हूँ..

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