पुस्‍तक ही है हमारा : कल, आज और कल : ब्‍लॉग विमर्श

पुस्‍तक कल
पुस्‍तक आज
पुस्‍तक कल

कल कल
विचारों की
करे अविकल

चले विचारों की
तेज साईकिल

न फैलाए प्रदूषण
तेज, तीक्ष्‍ण न भीषण

पुस्‍तक कल
पुस्‍तक आज
पुस्‍तक कल

काल को करे विजय
पुस्‍तक इतनी सबल ।

5 टिप्‍पणियां:

आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

 
Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz