मर्द और औरत

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  • by
  • vijay kumar sappatti
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  • हमने कुछ बनी बनायी रस्मो को निभाया 
    और सोच लिया कि ; 
    अब तुम मेरी औरत हूँ और मैं तुम्हारा मर्द !!

    लेकिन बीतते हुए समय ने  ज़िन्दगी को ;
    सिर्फ टुकड़ा टुकड़ा किया ...









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