नहीं मैं तुम्हारे पास नहीं आ रहा हॅूं
इश्क किया था मैंने पर अब में इश्क का गीत नहीं गा रहा हॅं
कलम तोड़ तोड़ कर लिखा मेंने तुम्हारे लिए
पर मैं खुद अपने लिए नहीं लिख पा रहा हॅं
नहीं मैं तुम्हारे पास नहीं आ रहा हॅूं
इश्क की शायद गली ही अलग है
और अब मैं किसी गली में नहीं जा रहा हॅूं
नहीं मैं इश्क का गीत नहीं गा रहा हॅूं
देख लूँगा किसी चैराहे पर खड़ा में
अब मैं चोराहे की तरफ नहीं जा रहा हॅं
मर चुका हॅूं इश्क मैं तुम्हारे लिए
और अब मैं नहीं फड़फड़ा रहा हूँ
आगे भी हो सकता था साथ तुम्हारा मेरा
तुमने जो मेरा साथ छोड़ अब मैं अकेला नहीं चल पा रहा हॅूं
नहीं मैं इश्क का गीत नहीं गा रहा हॅूं
जीत लुंगा इस जहां को फिर तुझे बतलाउंगा
तेरे बिना मैं फिर अकेला क्यों जिए जा रहा हॅूं
मैं अपने इश्क का गीत नहीं ला फरमा रहा हॅूं
मैं तो हाल ए दिल का मंजर बतला रहा हॅूं
जज्बात ए दिल शब्दों मे जतला रहा हूँ
देवेन्द्र ओझा
like this,annaaji aap kabase ishkiyaa geet sunne lage, matalab padhane lage,
जवाब देंहटाएंवाह जी इश्क़ का गीत बढ़िया है
जवाब देंहटाएंमें इश्क का गीत नहीं गा रहा हॅं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद