सुख और दुःख

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  • by
  • vijay kumar sappatti
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  • मित्रो 
    सुख और दुःख जीवन के अभिन्न अंग है , इनके साथ ही जीना है और इन्हें स्वीकारना ही जीवन में प्रसन्नता लाता है 
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