अवसाद पाल रहे हो
क्या रहे हो मेरी दुनिया में
मेरे पास चले आओ स्वामी (अन्नाभाई)
आना तो चाहता हूं मैं भी जल्दी
कुछ औपचारिकताएं शेष हैं
जो मेरे लिए विशेष हैं
करना चाहता हूं आंखें दान
शरीर भी देना चाहता हूं दान में
आत्महत्या भी नहीं करूंगा
तू बुलाएगा तो मना नहीं करूंगा
पर पत्रिकाएं, पुस्तकें वगैरह
जो संचित हैं पास मेरे
सब सौंपना चाहता हूं
डर लगता है रद्दी वाले की भेंट न चढ़ जाए
बस जरूरी यही काम हैं
निबट जाएं तो ठीक मेरे निबटने से पहले
नहीं निबटे तो भी क्या कर लूंगा
तू बुलाएगा तो साथ तेरे चल दूंगा
सच्चाई जान रहा हूं
हो रहा है आत्मबोध
सब अपने लिए जीते हैं
कुछ तो खुद ही अपना खून पीते हैं
मैं भी पी रहा हूं
बीमार हूं पर इतना नहीं
खुद के कामों पर भी अवलंबित रहूंगा
राह तकता रहूं अन्यों की मदद की
वह अन्य परिवार जन मुख्य हैं
पर मैं न आपको तंग करना चाहता हूं
न अन्य सबको।
खुद ही खुशी से
चला जाता हूं
भागता हूं, दौड़ता हूं
दरअसल कार चलाकर पहुंचता हूं
लेने दवाईयां भी
इंडेट कराने
रक्त देने अपना तो
मुझे ही जाना पड़ेगा
सो जाता हूं
जांच रिपोर्ट लेकर
डॉक्टर से भी कराता हूं जांच
और लेता-मानता हूं सलाह।
फिर लगवाता हूं इंजेक्शन
वैसे तो सप्ताह में एक
जब जरूरी हो तो दो
तीन भी
बल्कि दो तो जरूरी हैं
रक्तजांच के लिए भी
लगती है सुई
और दवाई देने के लिए भी
चुभती है सुई
वह बात दीगर है
अब दर्द नहीं होता है।
प्रति सप्ताह तीन या चार दिन
इसी में व्यस्त रहता हूं
और जो समय बचता है
अखबार पढ़ता हूं
थकता हूं
थकान के कान नहीं मरोड़ पाता हूं
लिखता हूं
छापना संपादकों की जिम्मेदारी है
चिट्ठे पर छापने के लिए
नहीं करनी होती किसी की जी हजूरी है।
आप भी चिट्ठा बनाएं
अपनी भावनाओं को सामने लाएं
अभिव्यक्ति को अपनी खुला स्वर दें
किसी की बंदिश में न रहें
आए बाधा तो मुझे बतलाएं।
मेरी चिंता से चिंतित न हों
बस एक चिट्ठा जरूर बनाएं
मुझे सुख मिलेगा
हिंदी सुखी होगी
हिन्दुस्तान सुखी होगा
प्रत्येक मन कमल में
प्रसन्नता का फूल खिलेगा।
क्या रहे हो मेरी दुनिया में
मेरे पास चले आओ स्वामी (अन्नाभाई)
आना तो चाहता हूं मैं भी जल्दी
कुछ औपचारिकताएं शेष हैं
जो मेरे लिए विशेष हैं
करना चाहता हूं आंखें दान
शरीर भी देना चाहता हूं दान में
आत्महत्या भी नहीं करूंगा
तू बुलाएगा तो मना नहीं करूंगा
पर पत्रिकाएं, पुस्तकें वगैरह
जो संचित हैं पास मेरे
सब सौंपना चाहता हूं
डर लगता है रद्दी वाले की भेंट न चढ़ जाए
बस जरूरी यही काम हैं
निबट जाएं तो ठीक मेरे निबटने से पहले
नहीं निबटे तो भी क्या कर लूंगा
तू बुलाएगा तो साथ तेरे चल दूंगा
सच्चाई जान रहा हूं
हो रहा है आत्मबोध
सब अपने लिए जीते हैं
कुछ तो खुद ही अपना खून पीते हैं
मैं भी पी रहा हूं
बीमार हूं पर इतना नहीं
खुद के कामों पर भी अवलंबित रहूंगा
राह तकता रहूं अन्यों की मदद की
वह अन्य परिवार जन मुख्य हैं
पर मैं न आपको तंग करना चाहता हूं
न अन्य सबको।
खुद ही खुशी से
चला जाता हूं
भागता हूं, दौड़ता हूं
दरअसल कार चलाकर पहुंचता हूं
लेने दवाईयां भी
इंडेट कराने
रक्त देने अपना तो
मुझे ही जाना पड़ेगा
सो जाता हूं
जांच रिपोर्ट लेकर
डॉक्टर से भी कराता हूं जांच
और लेता-मानता हूं सलाह।
फिर लगवाता हूं इंजेक्शन
वैसे तो सप्ताह में एक
जब जरूरी हो तो दो
तीन भी
बल्कि दो तो जरूरी हैं
रक्तजांच के लिए भी
लगती है सुई
और दवाई देने के लिए भी
चुभती है सुई
वह बात दीगर है
अब दर्द नहीं होता है।
प्रति सप्ताह तीन या चार दिन
इसी में व्यस्त रहता हूं
और जो समय बचता है
अखबार पढ़ता हूं
थकता हूं
थकान के कान नहीं मरोड़ पाता हूं
लिखता हूं
छापना संपादकों की जिम्मेदारी है
चिट्ठे पर छापने के लिए
नहीं करनी होती किसी की जी हजूरी है।
आप भी चिट्ठा बनाएं
अपनी भावनाओं को सामने लाएं
अभिव्यक्ति को अपनी खुला स्वर दें
किसी की बंदिश में न रहें
आए बाधा तो मुझे बतलाएं।
मेरी चिंता से चिंतित न हों
बस एक चिट्ठा जरूर बनाएं
मुझे सुख मिलेगा
हिंदी सुखी होगी
हिन्दुस्तान सुखी होगा
प्रत्येक मन कमल में
प्रसन्नता का फूल खिलेगा।
शुभ कामनाएँ... आप ब्लॉग जगत मे यूं ही जगमगाएँ..
जवाब देंहटाएंयोग व आयुर्वेद को भी नियमित अपना कर देखें. लाभ होना चाहिये.
जवाब देंहटाएंकाजल कुमार जी सलाह पर गौर करें।
जवाब देंहटाएंआयुर्वेद को आजमा चुका हूं बल्कि वह ही अपने हाथ मुझ पर आजमा चुके हैं और दिव्य योग की दवाईयां ने भी मुझ पर जोर आइमाईश करके देख ली है। नतीजा शून्य तो नहीं, हां, उससे कुछ नीचे मतलब माइनस में है। प्राणायाम अवश्य इसमें लाभप्रद होंगे पर वह कुछ फोड़ा वायरस और ठंड सायरस के कारण नहीं कर पा रहा हूं।
जवाब देंहटाएंएलोपैथी लाभ दे रही है। शून्य से शिखर की ओर धीमे धीमे बढ़ रही है परंतु अपनी लाचारी पर क्षोभ होता है काजल भाई। फिर भी दुख से ही प्रसन्नता का उदय माना गया है, सो वह मैं बांट ही रहा हूं। इस टिप्पणी को ललित स्वामी भी अपनी ही समझें।
bdhiya post hae .
जवाब देंहटाएंएलोपेथी पर भरोसा रखें । लाभ अवश्य होगा ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें अविनाश जी ।
आप जल्द ठीक हो जाएंगे ..
जवाब देंहटाएंहिम्मत बनाए रखें !!
आप अगर रहेंगे अवसाद में
जवाब देंहटाएंतो हम फसाद मचा देंगे,
की-बोर्ड पटक देंगे,
कम्प्यूटर हटा देंगे !
सर , सब ठीक हो जायेंगा . मेरी दुआए आपके साथ सदैव है . आप जल्दी स्वस्थ हो जाए यही कामना है . और हाँ जब किताबे बांटने का वक्त आये तो , मुझे ही दे दिजियेंगा .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
और हाँ , कविता बहुत अच्छी और सच्ची लिखी है .